कर्णप्रयाग से छांतेश्वर मंदिर तक निकाली जाएगी जल कलश यात्रा
संवाद सूत्र, कर्णप्रयाग : विकासखंड कर्णप्रयाग के कपीरी पट्टी अंतर्गत छांतेश्वर महादेव मंदिर में पांच अगस्त से शुरू होने वाले शिवमहापुराण ज्ञान यज्ञ की तैयारियां मंदिर समिति ने पूरी कर ली है। छांतेश्वर महादेव मंदिर समिति सचिव राजेंद्र सिंह ने बताया कि धार्मिक अनुष्ठान की तैयारी को लेकर क्षेत्र में उत्साह का माहौल है। चार अगस्त को अलकनंदा-पिंडर संगम से छांतेश्वर महादेव मंदिर तक जलकलश यात्रा निकाली जाएगी। शिव मंदिर में विशेष पूजा अनुष्ठान, जलाभिषेक का आयोजन होगा। इस दौरान उमा देवी मंदिर, शिवालय संगम में विशेष पूजा का आयोजन भी रखा गया है।
कर्णप्रयाग उमा देवी मंदिर परिसर में आयोजित बैठक में तैयारियों पर चर्चा की गई। इसमें स्कूली बच्चों की रैली, भजन-कीर्तन व कंडारा से कर्णप्रयाग तक जलकलश यात्रा निकालने का निर्णय लिया गया। आयोजन समिति पदाधिकारियों को कपीरी संघर्ष समिति अध्यक्ष राजेंद्र सिंह नेगी ने अवगत कराया कि कंडारा से क्षेत्र के कंडारा, जस्यारा, कुनेथ, खत्याडी, धनसारी सहित दर्जनभर से अधिक गांव के पांच सौ से अधिक ग्रामीण सुबह दस बजे कर्णप्रयाग सीएमपी बैंड पहुंचेंगे। जहां कलश यात्रा संगमतट तक भजन-कीर्तन के साथ पहुंचेगी। बताया कि पांच अगस्त को गंगा जल से छांतेश्वर महादेव मंदिर का स्नान, पांडव नृत्य व शिवपुराण प्रारंभ होगा। समिति सचिव ने बताया कि धार्मिक अनुष्ठान में क्षेत्रीय विधायक को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। पांच से 15 अगस्त तक होने वाले अनुष्ठान में पं.राजेंद्र प्रसाद पुरोहित शिवमहापुराण का श्रवण श्रद्धालुओं को कराएंगे। बैठक में पुष्कर सिंह, खेमराज भंडारी, भगवती प्रसाद थपलियाल, बृजेश बिष्ट आदि मौजूद थे।
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शिव-पार्वती विवाह दर्शन को पहुंचते हैं हजारों श्रद्धालु
छांतेश्वर पर्वत पर स्थित भगवान का शिवभू शिवलिंग का धार्मिक महत्व है। यहां श्रावण मास व शिवरात्रि पर मेले का आयोजन होता है। क्षेत्र की ईष्ट देवी मां उमा का ससुराल कपीरी है और 12 वर्ष में आयोजित यात्रा में छांतेश्वर महादेव मंदिर में शिव व पार्वती विवाह दर्शन को हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। माना जाता है कि एकांत पहाड़ी पर स्थित शिवलिंग पर एक गाय हमेशा थन से दूध देकर जब घर पहुंचती थी तो पशुपालक थन खाली देख हैरान रहता था। एक दिन जब उसने गाय का पीछा किया तो शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का पता चला और यह किस्सा ग्रामीणों को सुनाया। तब से यह क्षेत्र छांतेश्वर महादेव के नाम से जाना गया। यहां से नंदाघंघुटी, पौड़ी देवीधुरा मंदिर व कनखल की पर्वत श्रृंखलाओं के दर्शन होते हैं। ऐसे में क्षेत्रवासियों ने इस धार्मिक अनुष्ठान को पर्यटन मानचित्र पर लाने की मांग प्रदेश सरकार से की है।