VIDEO: चमोली के इस गांव में ग्रामीणों ने घायल को कुर्सी के सहारे दो किमी पैदल चल पहुंचाया सड़क तक, जानिए
आज भी गांवों में रहने वाले लोग ही अपने लोगों की जान बचाने के लिए देवदूत बनकर खडे होते हैं। दशोली विकासखंड के मेड़ ठेली गांव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है।
चमोली, जेएनएन। भले ही सरकारें विकास के लाख दावे कर लें, लेकिन आज भी गांवों में रहने वाले लोग ही अपने लोगों की जान बचाने के लिए देवदूत बनकर खडे होते हैं। दशोली विकासखंड के मेड़ ठेली गांव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। दरअसल, बरसात के बाद सड़क बंद हुई, तो ग्रामीण युवाओं ने देवदूत बनकर घायल को पैदल सड़क तक लाकर अस्पताल पहुंचाया।
चमोली जिले में लगातार हो रही बारिश से कई ग्रामीण सडकें बंद हैं। इससे गांवों की आवाजाही प्रभावित हुई है। बीते दिनों आई बारिश से दशोली विकासखंड के मेठ ठेली गांव को यातायात सुविधा से जोड़ने वाली सड़क कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गई। दो सप्ताह से ग्रामीण इस सड़क को खोले जाने का इंतजार कर रहे हैं। आपदा की दृष्टि से थराली विधानसभा का यह सबसे संवेदनशील क्षेत्र भी है।
#Uttarakhand में बारिश से लगातार भूस्खलन हो रहा। चमोली के ठेली गांव में सड़क बंद हुई, तो ग्रामीणों ने देवदूत बन घायल को कुर्सी के सहारे 2KM पैदल चल सड़क तक लाकर अस्पताल पहुंचाया। सुने क्या कह रहे स्थानीय लोग और वहां की विधायक मुन्नी देवी। @JagranNews @MygovU pic.twitter.com/pHLP5vhAAa— amit singh (@amitsingh121083) August 24, 2020
सड़क बंद होने के कारण बीमार और घायलों को सड़क तक लाने में युवाओं को मशक्कत करनी पड़ रही है। बीते दिन ठेली गांव के 51 वर्षीय बलवीर सिंह रावत को पैर में चोट लगने से वह घायल हो गए। वह चलने की स्थिति में नहीं थे।
गांव के युवाओं द्वारा कुर्सी पर घायल शख्स को दो किलोमीटर पैदल गरमथा तोक के साथ लगते पलेठी गांव तक पहुंचाया। यहां से बलवीर सिंह रावत को वाहन से गोपेश्वर अस्पताल लाया गया।
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क्षेत्र पंचायत सदस्य राहुल सिंह का कहना है कि सड़क बंद होने के कारण कई वाहन गांव में ही फंसे हुए हैं। बीमार और बुजुर्गों को अस्पताल तक पहुंचाने में जोखिम भरे रास्ते दिक्कत पैदा कर रहे हैं। बताया कि प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी सड़क न खोला जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। थराली की विधायक मुन्नी देवी का कहना है कि प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि दो दिनों के भीतर बरसात के दौरान भूस्खलन से क्षतिग्रस्त सड़कों को हर हाल में खोला जाए।
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