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ऋषिगंगा बेसिन में ग्लेशियर से नहीं है खतरा, टीम ने प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट

Chamoli Tregedy ऋषिगंगा नदी के बेसिन ग्लेशियर के ऊपर दरार नहीं। उसके मुहाने पर बनी झील से भी किसी तरह का खतरा नहीं। आइटीबीपी और एसडीआरएफ की 11 सदस्यीय टीम ने यहां रहकर वापस लौटने के बाद प्रशासन को दी गई अपनी रिपोर्ट में यह साफ किया।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 31 May 2021 08:43 PM (IST)Updated: Mon, 31 May 2021 08:43 PM (IST)
ऋषिगंगा बेसिन में ग्लेशियर से नहीं है खतरा, टीम ने प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट
ऋषिगंगा बेसिन में ग्लेशियर से नहीं है खतरा, टीम ने प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट।

संवाद सूत्र, जोशीमठ। Chamoli Tregedy ऋषिगंगा नदी के बेसिन ग्लेशियर के ऊपर दरार नहीं है। उसके मुहाने पर बनी झील से भी किसी तरह का खतरा नहीं है। आइटीबीपी और एसडीआरएफ की 11 सदस्यीय टीम ने तीन दिनों तक ऋषिगंगा के बेसिन में रहकर वापस लौटने के बाद प्रशासन को दी गई अपनी रिपोर्ट में यह साफ किया है। जिला प्रशासन ने भी इसकी पुष्टि की है।

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गौरतलब है कि रैंणी के ग्रामीणों ने ऋषिगंगा के बेसिन में ग्लेशियर के ऊपर दरार होने की सूचना प्रशासन को दी थी। ग्रामीणों ने बताया था कि ऋषिगंगा के मुहाने पर झील का आकार बढ़ने से भी खतरा पैदा हो गया है। ग्रामीणों की सूचना के बाद शासन प्रशासन सजग हुआ था। तीन दिनों पूर्व ही वैज्ञानिकों व जियोलाजिस्टों की टीम ने हेलीकाप्टर से इस क्षेत्र का सर्वेक्षण कर रैकी की थी। इसके बाद शासन के निर्देशों पर एसडीआरएफ और आइटीबीपी की टीम तीन दिनों पहले ऋषिगंगा के मुहाने पर निरीक्षण के लिए गई थी। 

यहां पर टीम के सदस्यों ने झील के मुहाने पर एकत्रित हुए कचरे, पेड़ों को हटाकर पानी की सुचारु निकासी की है, जिसके बाद झील का पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है। टीम अब वापस लौट चुकी है। टीम ने अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी है, जिसमें साफ किया गया है कि ऋषिगंगा के बेसिन पर स्थित ग्लेशियर पर किसी तरह की दरार नहीं है और झील से किसी भी तरह का खतरा नहीं है। सर्वेक्षण की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी प्रशासन को भेजी गई है।

 गौरतलब है कि सात फरवरी को ऋषिगंगा में आई बाढ़ के बाद व्यापक जनहानि के अलावा नुकसान भी हुआ था। ऋषिगंगा बाढ़ के बाद ऋषिगंगा नदी के मुहाने पर झील भी बनी थी। इस झील के खतरे से रैंणी सहित आसपास के गांवों के ग्रामीण बार बार आशंकित रहते हैं। हाल ही में बारिश के बाद जब नदी का जल स्तर बढ़ा तो ग्रामीणों ने खौफ के मारे जंगलों में रात गुजारी थी।

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