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पलायन के कारण गांव ने बदली परंपरा

जागरण संवाददाता बागेश्वर पुंगरघाटी क्षेत्र के कालाकोटी बिरादरी परिवार ने जनहित में अह

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 10:59 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 06:37 AM (IST)
पलायन के कारण गांव ने बदली परंपरा
पलायन के कारण गांव ने बदली परंपरा

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : पुंगरघाटी क्षेत्र के कालाकोटी बिरादरी परिवार ने जनहित में अहम फैसला लिया है। उन्होंने गांव से पलायन कर गई बिरादरी में घटित घटना पर शोक नहीं मनाने का निर्णय लिया है। इससे उनके कई शुभ कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

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पुंगरघाटी क्षेत्र में कालाकोटी बिरादरी की बैठक आयोजित की गई। वक्ताओं ने कहा कि उनकी बिरादरी करीब पांच किमी की दायरे तक है। छातीखेत, अनरिया, दोफाड़, झड़कोट में 250 परिवार वर्तमान में निवास कर रहे हैं। वर्तमान में कुछ परिवार हल्द्वानी, लखनऊ, दिल्ली, मुंबई आदि शहरों में पलायन कर चुके हैं। बिरादरी में जब किसी का निधन होता है। उस दौरान बिरादरी में कोई भी शुभ कार्य नहीं हो पाता है। जिस कारण शादी, पूजा, नामकरण, जनेऊ समेत अन्य कार्य नहीं हो पाते हैं। पलायन कर चुके बिरादरों से निधन आदि की जानकारी समय पर नहीं मिल पाती है, यदि मिलती भी है तो शुभ कार्य की तैयारी पूरी हो जाती है। जिससे आíथक नुकसान गरीब परिवार को उठाना पड़ता है। नौकरीपेशा और कामकाजी परिवारों का समय भी खराब होता है। बड़ी बिरादरी होने के कारण आए दिन निधन पर सूतक और जन्म पर नातक होते रहता है। जिस कारण शुभ कार्य के लिए समय निकालना मुश्किल हो जाता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए जगरूक लोगों ने आपसी सहमति के लिए प्रयास किया और समाज को विश्वास में लेते हुए तय किया कि भविष्य में नातक व सूतक को अपने गांव तक सीमित कर दिया जाएगा। इससे आपसी संबंधों में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस निर्णय का सभी ने स्वागत किया।

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गत वर्ष का निर्णय

गत वर्ष कालाकोटी बिरादरी ने जनहित को ध्यान में रखते हुए शव यात्रा में परिवहन का खर्च पीड़ति परिवार पर न डाल कर सभी शवयात्री अपने निजी खर्च से शवयात्रा में शामिल होंगे लिया था। जिस पर अमल भी होने लगा है। इसके अलावा शादी के दौरान नारियल देने की परंपरा भी यहां बिरादरी में समाप्त की है।

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बैठक में रहे मौजूद

दीवान सिंह, चंचल सिंह, धनपाल सिंह, भगवत सिंह, हरिओम सिंह, खुशाल सिंह, गणेश सिंह, बलवंत कालाकेटी, गणेश सिंह, नरेंद्र सिंह, मोहन सिंह, पुष्कर सिंह, दरवान सिंह, महेश सिंह समेत दर्जनों गांव के बुजुर्ग बैठक में मौजूद रहे।


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