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ग्लेशियर जाने वालों को वन विभाग को देना होगा शुल्क

बागेश्वर जिले में साहसिक पर्यटन को बढ़ाने के लिए पर्यटन विभाग हरसंभव प्रयास कर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 10:32 PM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 10:32 PM (IST)
ग्लेशियर जाने वालों को वन विभाग को देना होगा शुल्क
ग्लेशियर जाने वालों को वन विभाग को देना होगा शुल्क

जासं, बागेश्वर : साहसिक पर्यटन को बढ़ाने के लिए पर्यटन विभाग हरसंभव प्रयास कर रहा है लेकिन कोरोना के कारण फिलहाल इस पर ब्रेक लगा हुआ है। पिडारी व कफनी ग्लेशियर ट्रैकिंग और सुंदरढूंगा घाटी जाने वाले पर्यटकों को इस बार वन विभाग के कार्यालय में भी पंजीकरण करना होगा।

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ग्लेशियर जाने वाले प्रत्येक यात्री को 68 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से शुल्क जमा करना होगा। पंजीकरण कराने वाले यात्री की पूरी जानकारी वन विभाग के पास रहेगी। यात्री यदि ग्लेशियर में भटक गए तो ऐसे स्थिति में उन्हें खोजने और सुरक्षित कैंप तक लाने में वन विभाग मददगार बनेगा।। हालांकि कोरोना के चलते अप्रैल से शुरू होने वाली इस साहसिक यात्रा के मई में भी शुरू होने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है। जुलाई अंत तक यहां ट्रैकिंग होती है। बावजूद इसके पर्यटन विभाग ने तैयारियां कर ली हैं।

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ऐसे पहुंचें ग्लेशियर

पिडारी और कफनी ग्लेशियर की सैर पर जाने के लिए बागेश्वर से खर्किया तक 65 किमी की यात्रा वाहन से की जाती है। खर्किया से पांच किमी पैदल यात्रा के बाद खाती और 12 किमी आगे दवाली गांव है। दवाली से कफनी और पिडारी को जाने के अलग-अलग रास्ते हैं। दवाली से 12 किमी की दूरी पर कफनी तथा सात किमी की दूरी पर पिडारी का जीरो प्वाइंट है।

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यहां हैं विश्राम गृह

ग्लेशियर की यात्रा का अंतिम गांव खाती है। जहां यात्री पहला विश्राम कर सकते हैं। खाती में रात्रि विश्राम के लिए लोक निर्माण विभाग और कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के गेस्ट हाउस के साथ ही निजी होम स्टे भी मौजूद हैं। द्वाली और फुíकया में यात्रियों को लोनिवि या केएमवीएन के विश्राम गृहों में ही रात बितानी होती है। ---वर्जन-

कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुसार बाहर से आने वाले पर्यटकों और ट्रैकरों को अपने साथ कोराना निगेटिव रिपोर्ट लाना जरूरी होगा। इसके अलावा स्टेजिग एरिया में उनकी जांच भी होगी।

-कीíत चंद्र आर्या, जिला पर्यटन अधिकारी, बागेश्वर

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पिडारी और कफनी ग्लेशियर की यात्रा कोरोना के चलते पिछले वर्ष पूरी तरह से ठप थी। इस वर्ष मार्च में जिले के चार लोग यात्रा पर गए थे। उसके बाद अभी कोई पंजीकरण नहीं हुआ है। हिमालय क्षेत्र में जाने के लिए पर्यटकों को 68 रुपये का शुल्क देना होगा।

एसडी कांडपाल, वन क्षेत्राधिकारी कपकोट


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