ग्वाड़-पजेणा गांव में है जिले का सबसे पुराना मैथोडिस्ट चर्च
बागेश्वर जिले में तीन स्थानों पर ब्रिटिशकालीन मैथोडिस्ट चर्च है।
चंद्रशेखर बड़सीला, गरुड़: जिले में तीन स्थानों पर ब्रिटिशकालीन मैथोडिस्ट चर्च है। यह चर्च रखरखाव के अभाव में जर्जर होरी जा रही है। क्रिसमस पर यहां प्रार्थना सभाएं व मेले का आयोजन होता है। सभी धर्मों के लिए यहां बढ़-चढ़कर भागीदारी करते हैं। कोरोना काल की वजह से इस बार सादगीपूर्वक यहां पर कार्यक्रम आयोजित होंगे।
कत्यूर घाटी के ग्वाड़-पजेणा गांव में स्थित मैथोडिस्ट चर्च 107 वर्ष पुराना चर्च है। यह जिले का सबसे पुराना चर्च है। इस चर्च की स्थापना 1913 में ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी। तब जिले के क्रिश्चियन समुदाय के लोग प्रत्येक रविवार को प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए यहां आते थे। इसके लिए दूरदराज के लोग शनिवार को ही यहां पहुंच जाते थे।
डंगोली से डेढ़ किमी आगे ग्वाड़-पजेणा गांव में स्थित मैथोडिस्ट चर्च गरुड़-ग्वालदम मोटरमार्ग से सटा हुआ है। इस चर्च के निर्माण में स्थानीय पत्थरों का ही प्रयोग किया गया है। चर्च में प्रत्येक रविवार को प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है। चर्च से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजेश एंथनी व रविचंद ने बताया कि पूर्वजों के अनुसार जब पहले यातायात की सुविधा नहीं थी, तब क्रिश्चियन समुदाय के लोग रविवार और क्रिसमस के दिन प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए एक दिन पहले डंगोली पहुंच जाते थे। क्रिसमस के दिन चर्च में विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की जाएगी। जिले के सबसे पुराने चर्च में बिजली, पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
रविचंद व राजेश एंथनी ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने कई बार शासन-प्रशासन से कहा।लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।चर्च के दिन लोग यहां आकर प्रार्थना सभा में भाग लेते हैं और कैंडल जलाते हैं। चौरसों के चर्च में नववर्ष को होते है कार्यक्रम
कत्यूर घाटी के चौरसों गांव में भी चर्च स्थित है। इसका निर्माण 1935 में हुआ था। यहां नववर्ष पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष कोरोनाकाल के चलते मास्क पहनकर और सामाजिक दूरी में प्रार्थना सभा आयोजित की जाएगी। क्रिसमस पर्व पर लगता है मेला
जिले में तीसरा मैथोडिस्ट चर्च फटगली में है। इसका निर्माण 1939 में हुआ। चर्च में हर साल क्रिसमस के दिन बड़ा मेला होता है। जिसमें धाíमक सौहार्द की झलक दिखाई देती है। मेला समिति के रविद्र सिंह ने बताया कि इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार ना तो मेला होगा ना ही प्रार्थना सभा आयोजित होगी।