पलायन का असर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर भी
जागरण संवाददाता बागेश्वर गांवों से लगातार हो रहे पलायन का असर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: गांवों से लगातार हो रहे पलायन का असर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में देखने को मिला। गांव के 30 फीसद कहीं तो इससे भी अधिक मतदाता वोट देने के लिए पहुंचे ही नहीं। इसी कारण गांवों में मतदान प्रतिशत काफी कम रहा। गांवों के अधिकतर लोग काम या अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा करवाने के लिए बाहरी जिलों या प्रदेशों में निवास कर रहे है। उन्होंने अपने गांव को अस्थायी रूप से छोड़ दिया है। वह भले ही मतदाता गांव के है, लेकिन वह चुनावों में भाग लेने कम ही पहुंचते है। इसका असर चुनावों में साफ देखा जाता है। पहाड़ में चुनाव के दौरान मत प्रतिशत कम होने का यह सबसे बड़ा कारण है। चौगांवछीना, कमस्यार, खरही पट्टी आदि गांवों के यही हाल थे। मुख्यालय से जुड़े गांवों चौरा व सात जिला पंचायत क्षेत्रों के भी यही हाल है। जिसका असर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भी देखने को मिला।
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शहर से वोट देने के लिए पहुंचे गांव
बागेश्वर: त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में अपने बिरादर प्रत्याशी को जीताने के लिए कुछ लोग काम से छुट्टी लेकर अपने गांव भी पहुंचे। इन्होंने अपने प्रत्याशी को जीताने के लिए लोगों से भी अपील की।
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महिलाएं अपने खेतों में कर रही थी काम बागेश्वर: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मतदान के दौरान महिलाएं अपने खेतों में भी व्यस्त थी। उन्होंने मतदान को लेकर कोई खास रुचि नही दिखाई। कई दिनों से क्षेत्र में बारिश हो रही थी। जिससे धान की फसल बर्बाद होने के कगार में पहुंच गई। शनिवार की सुबह मतदान के दिन मौसम साफ था। सुबह से ही धूप खिली थी। महिलाएं व पुरुष अपने खेतों में ही धान की फसल को सूखाने आदि का काम करते हुए दिखाई दिए। दोपहर दो बजे बाद वह लोग मतदान स्थल तक पहुंचे। इस कारण दोपहर 12 तक 25 प्रतिशत ही मतदान हुआ।
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समर्थकों व प्रत्याशी ने बहाया पसीना
पंचातय चुनावों में सबसे अधिक पसीना प्रधान पद के प्रत्याशी ने बहाया। उसी ने मतदाताओं को मतदान केंद्र तक आने के लिए प्रेरित किया। सभी जगह का यही हाल था। लोग भी प्रधान के प्रत्याशी का ही नाम को पहचान रहे थे। इसके अलावा क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत से उन्हें ज्यादा मतलब नहीं दिखाई दिया।
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युवा मतदाताओं में दिखा जोश
इस बार पंचायत चुनावों में 70 फीसद प्रत्याशी 35 से कम उम्र के ही है। जिस कारण युवाओं ने इस चुनाव में बढ़-चढ़कर भाग लिया। हर बूथों पर युवा समर्थकों ने अपने-अपने बूथ संभालते हुए दिखाई दिए।