कत्यूर घाटी में धान मढ़ाई का कार्य अंतिम चरण में
कत्यूर घाटी में धान की मढ़ाई का कार्य अंतिम चरण में पहुंच चुका है।
संवाद सूत्र, गरुड़: कत्यूर घाटी में धान की मढ़ाई का कार्य अंतिम चरण में पहुंच चुका है। अधिकांश हिस्सों में अब काश्तकार धान की फसल समेट चुके हैं। आज भी यहां धान की मढ़ाई का कार्य काश्तकार पैरों से ही करते हैं।
अत्यधिक उत्पादन के चलते कत्यूर घाटी को धान का कटोरा कहा जाता है। जनपद में कत्यूर घाटी धान की फसल के लिए बेहद मुफीद मानी जाती है। यहां के अधिकांश लोगों का व्यवसाय कृषि है। फसल तैयार होने के बाद आश्विन मास में यहां काश्तकार धान की फसल की मढ़ाई करने में जुटे रहते हैं। काíतक मास के पहले हफ्ते तक यहां धान की मढ़ाई का कार्य पूरा हो जाता है। आधुनिक युग में भी यहां काश्तकार परंपरागत ढंग से पैरों से ही धान की मढ़ाई रते आ रहे हैं। यहां के धान की दूर-दूर तक डिमांड है। लोग यहां के धान का चावल बहुत पसंद करते हैं। यहां के चावल में शुगर की मात्रा भी कम होती है, ऐसा माना जाता है। लोग धान कूटकर अपने रिश्तेदारों व स्वजनों को भी यहां के चावल भिजवाते हैं। प्रगतिशील काश्तकार कृष्ण चंद्र तिवारी, लाल सिंह, भूपाल सिंह, लक्ष्मीदत्त खोलिया, संजय बड़सीला, महेश जोशी, विशंभर दत्त आदि ने बताया कि इस बार धान की फसल काफी अच्छी हुई है। उन्होंने बताया अब काश्तकार पशुओं के लिए घास की कटाई में जुटेंगे। इधर मौसम के फिर बदलने से काश्तकारों की चिता बढ़ गई है।
संसू, गरुड़: कुमाऊं टैक्सी यूनियन महासंघ की बैठक में सरकार के प्रति आभार जताया गया। रविवार को एक होटल में आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि कोराना काल में टैक्सी चालकों तथा मालिकों को भारी नुकसान हुआ है। अब सरकार इसकी भरपाई का काम कर रही है। अब उनके खातों में राहत राशि पहुंच रही है। उन्होंने इसके मरहम बताया। इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट का माल्यार्पण किया। बैठक की अध्यक्षता ठाकुर सिंह मंडल अध्यक्ष ने किया। इस मौके पर महेश बोरा, राजेंद्र सिंह, परमानंद कांडपाल,जगदीश सिंह रौतेला,आनंद सिंह रावत,भूपेश पांडे, कमल पंत, मोहन सिंह भाकुनी, दीवान सिंह आदि मौजूद थे।