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अब किसान भी बना सकेंगे अपनी भूमि पर सरोवर

अमृत सरोवर योजना से जिले के चाल-खाल संरक्षित होने की उम्मीद जगी है। तालाबों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की भी योजना है। पशुओं व किसानों को इसका लाभ मिलेगा। वहीं पर्यटक भी परंपरागत चाल-खाल को निहारने के लिए यहां आएंगे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 04:39 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 04:39 PM (IST)
अब किसान भी बना सकेंगे अपनी भूमि पर सरोवर
अब किसान भी बना सकेंगे अपनी भूमि पर सरोवर

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : केंद्र की अमृत सरोवर योजना से जिले के चाल-खाल संरक्षित होने की उम्मीद जगी है। तालाबों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की भी योजना है। पशुओं व किसानों को इसका लाभ मिलेगा। वहीं, पर्यटक भी परंपरागत चाल-खाल को निहारने के लिए यहां आएंगे।

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गरुड़ कपकोट और बागेश्वर विकासखंड में 75 सरोवरों का चयन होना है। जिलाधिकारी विनीत कुमार ने वन, सिचाई, लघु सिचाई, कृषि और उद्यान विभाग को चयन करने की जिम्मेदारी सौंपी है। वन पंचायत के अलावा यदि कोई कृषक अपने खेत पर तालाब बनाना चाहता है तो वह भी बना सकता है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत अमृत सरोवर योजना जल संरक्षण और संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भारत सरकार की इस योजना पर संबंधित विभाग धनराशि व्यय करेंगे। चाल-खाल परंपरा पुरानी

बरसात के पानी को एकत्र करने के लिए पूर्व में ढलान वाले स्थानों पर चाल-खाल बनाने की परंपरा रही है। खाल में लगभग बरसात का पानी छह माह तक रहता था। वह चाल-खाल को संरक्षित करेगा। पर्यटन की दृष्टि से जिला विकसित होगा। आसपास के जलस्त्रोतों को भी नया जीवनदान मिलेगा। चाल-खाल के चारों तरफ चौड़ी पत्ती के पौध भी लगाए जाएंगे। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत केंद्र की अमृत सरोवर योजना पर काम हो रहा है। जल संरक्षण के लिए जिले में 75 नम भूमि स्थानों का चयन किया जाएगा। विभागों के अलावा मनरेगा के तहत भी जल संरक्षण का काम होगा। इसके अलावा नई पहल के तहत विलुप्त हो रहे परंपरागत चाल-खालों यानी तालाबों को पुनर्जीवित करने की योजना है।

- संगीता आर्य, डीडीओ, बागेश्वर


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