नई शिक्षा नीति छात्रों का भविष्य तरासेगी
डायट में भारतीय भाषाओं कला और संस्कृति का संवर्धन नई शिक्षा नीति पर एक दिवसीय वेबिनार आयोजित किया गया।
जासं, बागेश्वर: डायट में भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति का संवर्धन, नई शिक्षा नीति पर एक दिवसीय वेबीनार आयोजित किया गया। वक्ताओं ने राष्ट्रीय अस्मिता, समानता, सामाजिक न्याय, बौद्धिक विकास और उतरोत्तर मानव विकास हेतु शिक्षा को प्रमुख साधन बताया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति छात्रों के उच्जवल भविष्य को तरसाने का काम करेगी।
सोमवार को आयोजित वेबीनार में ज्ञान की विविधता, विज्ञान एवं तकनीकी को व्यापक बनाने पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि समय के अनुसार शैक्षिक परि²श्य निर्माण को शिक्षा से ही प्रशस्त किया जा सकता है। कोई भी समाज या राष्ट्र तभी ²ढ़ता से विश्वपटल पर खड़ रह सकता है। जब उसके साथ उसका समृद्धशाली अतीत, प्रगतिशील वर्तमान और अपार संभावनाएं होंगी। कहा कि भारत के साथ सौभाग्य है कि वह तीनों को साथ लेकर निरंतर अग्रसर होने वाला राष्ट्र रहा है। नई शिक्षा नीति 2020 के तृतीय भाग में अन्य विचारणीय मुद्दे के तहत भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति का संवर्धन को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इसमें भाषा, कला और संस्कृति के संवर्धन और नई तकनीक प्राप्त करने के अनेक प्रावधान किए गए हैं। वेबीनार में प्रदेश के 265 शिक्षा अधिकारियों, शिक्षक प्रशिक्षकों, ने प्रतिभाग किया। संयोजक कैलाश प्रकाश चंदोला ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। कला को शिक्षा की मुख्य धारा में समाहित कर यदि ज्ञान विज्ञान के नए परिपथ निíमत किए जाएं तो नींव अधिक गहरी और भवन भव्य बन सकता है। इस मौके पर मुख्य शिक्षधिकारी पदमेंद्र सकलानी, केएन जोशी, रवि जोशी, संजय गुरुरानी, डॉ. दया सागर, डॉ. सीएम जोशी, मनोज चौहान आदि मौजूद थे।