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मंदिर और धामों में पूजा-अर्चना पर लॉक

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मठ मंदिर पिछले 22 मार्च से बंद है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 10:55 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 06:16 AM (IST)
मंदिर और धामों में पूजा-अर्चना पर लॉक

जागरण संवाददाता, बागेश्वर: कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मठ, मंदिर पिछले 22 मार्च से बंद हैं। यहां पूजा-अर्चना करने वाले लोग भी कम आ रहे हैं। जिससे पंडितों, पुजारियों की रोजी-रोटी भी संकट में आ गया है। जिले में बागनाथ मंदिर में हर रोज पूजा-अर्चना होती थी। यहां एक दर्जन से अधिक पंडित सैकड़ों लोगों की पूजा कराते थे। मई और जून माह विदेशी और देशी पर्यटकों से भरा रहता था। वहीं, कोट भ्रामरी, बैजनाथा धाम, कांडा कालिका मंदिर, भद्रकाली मंदिरों में भी पूजा-अर्चना तो हो रही है, लेकिन बाहर से श्रद्धालुओं के नहीं आने से पंडित और पुजारी बेरोजगार हो गए हैं। अलबत्ता एक अवाज पंडितों ने भी सरकार से लगाई है कि उनकी भी सुध ली जाए।

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बागनाथ मंदिर में पिछले तीस सालों से पाठ आदि का काम कर रहे पंडित हेम चंद्र जोशी ने बताया कि करीब तीन माह लॉकडाउन चल रहा है। हालांकि वर्तमान में अनलाक-वन है, लेकिन मंदिरों में अभी भी चहल-पहल नहीं है। जिले में करीब पांच हजार पंडित पूजा-पाठ, विवाह और अन्य कर्मकांडों से जुड़े हुए हैं। सालभर में करीब एक से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक की कमाई कर लेते हैं। बागनाथ मंदिर में करीब 100 से अधिक पंडित रहते थे, लेकिन अब कोई नहीं आ रहा है। वैशाखी, गंगा दशहरा, वट सावित्री समेत अन्य आयोजन नहीं हो सके हैं। इसके अलावा विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण समेत अन्य कर्मकांड हो रहे हैं, लेकिन काफी कम। जिससे उनकी आय पूरी तरह घट गई है। सरकार को पंडितों और पुजारियों के बारे में भी सोचना होगा। बागनाथ मंदिर में भोग लगाने वाले पंडित खीमानंद पंत कहते हैं कि पहली बार ऐसा हो रहा है। रावल परिवार मंदिर के पुजारी हैं और वह सिर्फ भोग लगाने को मंदिर आ रहे हैं। मार्च, अप्रैल, मई और जून का महीना पर्यटकों का रहता था। अभी तक एक भी श्रद्धालु मंदिर की चौखट तक नहीं पहुंचा। पंडित प्रकाश चंद्र पांडे ने कहा कि मंगलवार को हनुमान का दिन है और वे यहां हनुमान की पूजा-अर्चना करने आते हैं। लेकिन श्रद्धालुजन नहीं होने से निराश हैं। इधर, रावल परिवार के लोगों का कहना है कि मंदिर में श्रद्धालु नहीं आने से मंदिर में सिर्फ आरती हो रही है।


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