कपकोट का सौधार जंगल धधका
बागेश्वर में जंगलों की आग काबू में आने का नाम नहीं ले रही है। अब कपकोट के सौधार का जंगल आग की चपेट में आ गया है।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : जंगलों की आग काबू में आने का नाम नहीं ले रही है। कपकोट के सौधार के जंगल फिर धधक रहे हैं। भयूं गांव की तरफ बढ़ रही आग पर महिलाओं ने समय रहते काबू पा लिया, जिससे बड़ी घटना होने से बच गई। वनों की आग से वातावरण में चारों तरफ धुंआ फैल गया है। वन विभाग जंगलों की आग पर काबू पाने में पूरी तरह नाकाम हो गया है। 190 फायर वाचर और अन्य स्टाफ पूरी तरह मुस्तैद होने के बावजूद भी हर रोज जंगलों में आग लग रही है। वर्तमान में धरमघर क्षेत्र से लेकर कपकोट के जंगल जल रहे हैं। सौधार जंगल में भयंकर आग लगी है। आग जंगलों की हरियाली को लील रहरी है। जिला मुख्यालय के अधिकतर जंगल अंदर ही अंदर सुलग रहे हैं। भयूं गांव की तरफ फैल रही आग पर स्थानीय महिला हेमा शाही, चांदनी शाही, लीला शाही आदि ने भारी मशक्कत के बाद काबू पाया। उन्होंने कहा कि यदि वह कुछ देर करतीं तो उनके गेहूं के खेत जल गए होते।
उधर, वनों की आग से वन्य जीवन सबसे अधिक खतरे में आ गया है। इस बीच बंदर, सूअर, गुलदार समेत अन्य जानवर सुरक्षित स्थानों की तरफ बढ़ रहे हैं। मानव बस्तियों की तरफ रुख होने से गांवों में भी दहशत बनी हुई है। वन पंचायत सरपंच संगठन के जिलाध्यक्ष पूरन सिंह रावल ने कहा कि पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि यदि जंगल नहीं बचे तो पानी, हवा पर भी असर पड़ेगा। जलस्त्रोतों में भी पानी की कमी आने लगी है। वनस्पतियों को भी नुकसान हो रहा है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वह प्रकृति को बचाने के लिए वनों को आग लगाने वालों पर नजर रखें। इधर, प्रभागीय वनाधिकारी बीएस शाही ने कहा कि जंगलों को बचाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
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जंगल की आग से फसल को नुकसान नहीं
बागेश्वर : प्रभारी वनाधिकारी ने पाटाडुंगरी गांव में जंगल की आग से गेहूं की फसल जलने का संज्ञान लेते हुए जांच टीम मौके पर भेजी। जांच में पाया गया कि फसल जंगल की आग से नहीं जली थी। खेत मालिक लाल सिंह पुत्र बचे सिंह बोरा ने बताया कि जंगल की आग खेत में नही पहुंची। खेत में कूड़ा जलाने से आग फैल गई। डीएफओ बीएस साही ने बताया कि गेहूं की फसल जंगल की आग से बर्बाद नहीं हुई है।