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पटाखे बीमारियों को देते हैं दावत, बरतें सावधानी

बागेश्वर के चिकित्सकों ने दीवाली पर पटाखे नहीं छोड़ने की अपील की है। कहा पटाखे बीमारियों को दावत देते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 08:32 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 08:32 AM (IST)
पटाखे बीमारियों को देते हैं दावत, बरतें सावधानी
पटाखे बीमारियों को देते हैं दावत, बरतें सावधानी

अल्मोड़ा, बागेश्वर: दीवाली में पटाखों की धूम नहीं हो तो शायद कुछ कमी सी लगती है, लेकिन अगर पटाखे हमारे स्वास्थ्य को नुकसान व पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं तो हमें इनके इस्तेमाल के बारे में सही से सोचने की जरूरत है। सभी लोग संकल्प ले और इस बार पटाखों की जगह दिए जलाए। विभिन्न स्कूल व संगठन जन जागरुकता अभियान चला रहे हैं।

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दीवाली में पटाखों को लेकर चिकित्सकों ने सतर्कता बरतने को कहा हैं। उन्होंने कहा कि इससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। कहा कि रोशनी का त्योहार दीवाली अपने साथ बहुत सारी खुशियां लेकर आता है, लेकिन दमा, सीओपीडी या एलर्जिक से पीड़ित मरीजों की समस्या इन दिनों बढ़ जाती है। जिससे फेफड़े अपना काम ठीक से नहीं कर पाते और हालात यहां तक भी पहुंच सकते हैं कि आर्गन फेलियर और मौत तक हो सकती है। ऐसे में धुएं से बचने की कोशिश करें।

डा राजीव उपाध्याय ने बताया पटाखों के धुएं की वजह से अस्थमा या दमा का अटैक आ सकता है। हानिकारक विषाक्त कणों के फेफड़ों में पहुंचने से ऐसा हो सकता है, जिससे व्यक्ति को जान का खतरा भी हो सकता है। डा. पंकज पंत ऐसे में जिन लोगों को सांस की समस्याएं हों, उन्हें अपने आप को प्रदूषित हवा से बचा कर रखना चाहिए। पटाखों के धुएं से हार्टअटैक और स्ट्रोक का खतरा भी पैदा हो सकता है. पटाखों में मौजूद लैड सेहत के लिए खतरनाक है, इसके कारण हार्टअटैक और स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है।

डा. मनीष पंत बच्चे और गर्भवती महिलाओं को पटाखों के शोर व धुएं से बचकर रहना चाहिए. पटाखों से निकला धुआं खासतौर पर छोटे बच्चों में सांस की समस्याएं पैदा करता है। पटाखों में हानिकारक रसायन होते हैं, जिनके कारण बच्चों के शरीर में टॉक्सिस का स्तर बढ़ जाता है और उनके विकास में रुकावट पैदा करता है। पटाखों के धुंऐ से गर्भपात की संभावना भी बढ़ जाती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को भी ऐसे समय में घर पर ही रहना चाहिए। बरतें सावधानी

डा. तैयब कहते हैं कि छोटे बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को अपने आप को बचा कर रखना चाहिए। दिल के मरीजों को भी पटाखों से बचकर रहना चाहिए। इनके फेफड़ें बहुत नाजुक होते हैं। कई बार बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति पटाखों के शोर के कारण दिल के दौरे का शिकार हो जाते हैं। कुछ लोग तो शाक लगने के कारण मर भी सकते हैं। छोटे बच्चे, मासूम जानवर और पक्षी भी पटाखों की तेज आवाज से डर जाते हैं। पटाखे बीमार लोगों, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए खतरनाक हैं। 100 डेसिबल से ज्यादा आवाज का बुरा असर हमारी सुनने की क्षमता पर पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शहरों के लिए 45 डेसिबल की आवाज अनुकूल है। लेकिन भारत के बड़े शहरों में शोर का स्तर 90 डेसिबल से भी अधिक है। मनुष्य के लिए उचित स्तर 85 डेसिबल तक ही माना गया है। अनचाही आवाज मनुष्य पर मनोवैज्ञानिक असर पैदा करती है।


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