काश्तकारों की मेहनत पर सूअर चला रहे 'हल'
संवाद सूत्र, गरुड़ : कत्यूर घाटी के कई गांवों में इन दिनों जंगली सूअरों का आतंक छाया हुआ
संवाद सूत्र, गरुड़ : कत्यूर घाटी के कई गांवों में इन दिनों जंगली सूअरों का आतंक छाया हुआ है। जंगली सूअरों के झुंड खेतों में घुसकर फसलों व सब्जियों को रौंद रहे हैं। रही, सही कसर बंदरों ने पूरी कर दी है। परेशान काश्तकारों ने वन विभाग से जंगली सूअरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है।
कत्यूर घाटी के चोरसों, उड़खुली, मटेना, मुझारचौरा, तिलसारी, ज्वणास्टेट, नौटा, कटारमल, धैना समेत दर्जनों गांवों में जंगली सूअरों का आतंक छाया हुआ है। सूअर न केवल फसलों और सब्जियों को तहस-नहस कर रहे हैं बल्कि खेतों में गड्ढे बना दे रहे हैं। इस कारण पूरी फसलें बर्बाद हो जा रही हैं। दिन होते ही बंदरों का आतंक शुरु हो जाता है। बची खुची फसलों को बंदर उजाड़ रहे हैं। काश्तकार लाल ¨सह, भूपाल ¨सह, मनोज खोलिया, राजेंद्र प्रसाद, सुरेश जोशी, सुरेंद्र रावत, दिनेश लोहनी, भरत बिष्ट आदि का कहना है कि जंगली जानवर लंबे समय से उनकी फसलों को चौपट कर रहे हैं। कई बार वन विभाग को सूचना देने के बाद भी न तो इनके आतंक से निजात दिलाई जा रही है और न ही उन्हें मुआवजा दिया जा रहा है। परेशान किसानों ने कहा है कि यदि वह विभाग जंगली जानवरों की समस्या से निजात नहीं दिलाता है तो उन्हें आंदोलन छेड़ने को बाध्य होना पड़ेगा।
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काश्तकार परेशान
जंगली जानवरों के आतंक से पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों का खेती-बाड़ी से मोह भंग होने लगा है। सूअर और बंदर जहां काश्तकारों के मेहनत पर पानी फेर रहे हैं वहीं लोगों को काटकर घायल भी कर दे रहे हैं। इससे लोगों में भय के साथ आक्रोश व्याप्त है।़