पलायन का दर्द दिखाती 'घोस्ट विलेजेज ऑफ हिमालियाज'
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : पहाड़ से लगातार हो रहे पलायन का दंश अब राज्य का विषय ही नही
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : पहाड़ से लगातार हो रहे पलायन का दंश अब राज्य का विषय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय विषय बनते जा रहा हैं। फिल्म मेकर भी इस विषय पर लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ऐसा ही कुछ कर रहे हैं कुलदीप साह गंगोला जिन्होंने पलायन विषय पर घोस्ट विलेजेज आफ हिमालियाज पर एक शार्ट फिल्म बनाई हैं। जो काफी पसंद की जा रही हैं।
डाक्यूमेंट्री फिल्म घोस्ट विलेजेज आफ हिमालियाज कपकोट ब्लाक के खोलाखेत गांव में रहने वाली 89 वर्षीय अम्माजी की कहानी हैं। यह गांव पलायन का दंश झेल रहा हैं। लगभग गांव खाली हो गया हैं। यहां पर अब बूढ़ी अम्मा और गांव के कुछ लोग रहते है। उम्र के इस पड़ाव में उसका गांव में संघर्ष इस फिल्म के जरिए दिखाया गया है। अम्माजी ने अपने उम्र के एक पड़ाव में पूरा आबाद गांव देखा। अब वह खाली गांव देख रही हैं। पथराई आंखों से उन खुशहाल दिनों का इंतजार करती अम्मा का एक-एक पल मौत की तरफ जा रहा है। दूसरी ओर फिल्म में बेहतरीन तरीके से जंगली जानवरों के आतंक को भी दिखाया गया हैं। फिल्म में आखिरी पड़ाव में पहुंची अम्मा की कहानी का फिल्मांकन सभी को सोचने के लिए मजबूर करती हैं।
डाक्यूमेंट्री फिल्म के निर्देशक कुलदीप साह गंगोला ने बताया कि इस फिल्म को न्यूयार्क फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट शार्ट फिल्म का आडियंस अवार्ड मिला हैं। एफएडी इंटरनेशनल कालेज पूणे से डिप्लोमा किया। इसके बाद से ही फिल्म मे¨कग में रुचि जागी। इसके बाद न्यूयार्क में सीखने को मिला। तीन चार महीने की मशक्कत के बाद यह शार्ट फिल्म बनाई। आगे कई प्रोजेक्ट है जिन पर काम किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि यहां काफी संभावनाएं हैं। कई प्रतिभाएं हैं। जिनको साथ लेकर काम करने की योजना हैं ताकि उन्हें भी कुछ लाभ मिल सके।