चुनावी इतिहास में अल्मोड़ा संसदीय सीट पर सबसे बड़ी जीत
चंद्रशेखर द्विवेदी बागेश्वर 17वीं लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा संसदीय सीट ने इतिहास में भी नाम दर्ज
चंद्रशेखर द्विवेदी, बागेश्वर
17वीं लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा संसदीय सीट ने इतिहास में भी नाम दर्ज करा लिया है। इंदिरा गांधी की मौत के बाद आई लहर के 35 साल बाद मोदी लहर में भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट रिकार्ड मतों के अंतर से जीतने में सफल रहे। एक अपवाद को छोड़ दें तो अल्मोड़ा संसदीय सीट पर हमेशा से ही भाजपा व कांग्रेस के बीच ही सीधी टक्कर रही है। जब भी लोकसभा चुनाव होते हैं तो यहां का मतदाता देश के मूड के हिसाब से ही वोट देता है। चाहे वह कैसा ही प्रत्याशी हो। 17वीं लोकसभा के चुनाव का जब आगाज हुआ तो देश में दोबारा से मोदी लहर ही थी। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर उन्होंने पुराने चेहरे केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा को अपना प्रत्याशी घोषित किया। भाजपा ने जब पुराना चेहरा उठाया तो कांग्रेस ने भी उसी अंदाज में राज्य सभा सांसद प्रदीप टम्टा को टिकट दे दिया। दो चिर परिचित प्रतिद्वंदी थे। दोनों प्रत्याशी पहले सोमेश्वर विधानसभा से दो बार 2009 व 2014 के चुनावों में आमने-सामने रह चुके थे। पुराने चेहरे होने के कारण अल्मोड़ा संसदीय सीट के मतदाताओं में चुनाव के प्रति ज्यादा रुझान नहीं दिखाई दिया। मतदान भी आचार संहिता लगने के 15 दिनों के अंदर ही हो गई। ऐसे में दोनों को ज्यादा प्रचार करने का मौका तक नहीं मिला। दुर्गम परिस्थितियां होने के कारण इन प्रत्याशियों का प्रचार शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित रहा गया। देश में पाकिस्तान के बालाकोट हमले के बाद मोदी की लहर थी। अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र सैन्य बाहुल्य है। ऐसे में इसका फायदा सीधे अजय टम्टा को मिला। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भी मोदी लहर थी। तब भी यहां लगभग 53 फीसदी लोगों ने मतदान किया। इस बार भी इतना ही मतदान हुआ। मोदी लहर का सीधा फायदा अजय टम्टा को मिला। भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा दो लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतने में सफल हुए थे। इससे पहले 1984 के आम चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी एक लाख 40 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीतने में सफल रहे। इस समय देश में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत के बाद पूरे देश में उनकी लहर थी। उन्होंने तब भाजपा के दिग्गज मुरली मनोहर जोशी को हराया था। तब उन्हें केवल 44674 मत मिले। यह चुनाव भाजपा प्रत्याशी के लिए अल्मोड़ा संसदीय सीट से आखिरी चुनाव भी साबित हुआ। इसके बाद मुरली मनोहर जोशी ने कभी भी अल्मोड़ा संसदीय सीट से चुनाव नहीं लड़ा।