लॉकडाउन के दौरान 35 नवजात ने लिया जन्म
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कांडा में लॉकडाउन के दौरान बेटियां अधिक जन्मीं।
घनश्याम जोशी, बागेश्वर: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कांडा में लॉकडाउन के दौरान बेटियां अधिक जन्मी। जबकि गत वर्ष इस दौरान से यहां अधिक नवजात ने जन्म लिया है। हालांकि गत वर्ष भी इस दौरान बेटों से अधिक बेटियां पैदा हुई। अलबत्ता अस्पताल में अधिक बेटियों के पैदा होने पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को भी रफ्तार मिली है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कांडा लॉकडाउन के दौरान बेहतर काम कर रहा है। 22 मार्च से अब तक स्वास्थ्य केंद्र में 35 नवजात ने जन्म लिया। जिसमें 16 बेटे और 19 बेटियां पैदा हुईं। जबकि गत वर्ष मार्च से मई तक यहां 21 नवजात ने जन्म लिया। जिसमें सात बेटे और 14 बेटियां पैदा हुईं। कांडा क्षेत्र स्वास्थ्य के मामलों में काफी पिछड़ा हुआ था। अधिकतर लोग हायर सेंटर रेफर कर दिए जाते। लेकिन लॉकडान के दौरान डाक्टरों ने यहां बेहतर काम किया है। स्थानीय महिलाएं नहीं वरन पिथौरागढ़ जिले से सटे गांवों की प्रसव पीड़िताओं को यहां सुविधा मिल रही है।डाक्टरों के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम और बचाव के लिए लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। 22 मार्च के बाद प्रसव पीड़िताओं के घर से बाहर निकल पाना भी मुश्किल था। लेकिन यहां तैनात डा. शम्मी ने घर पर जाकर भी प्रसव के लिए महिलाओं को अस्पताल तक लाने में मदद की। डाक्टरों के अनुसार सभी प्रसव नार्मल तरीके से कराए गए।
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जिला अस्पताल चार हुए रेफर
लॉकडाउन की अवधि में जिला अस्पताल में 152 शिशुओं ने जन्म लिया। लड़कियों के मुकाबले लड़के अधिक पैदा हुए हैं। लॉकडाउन की अवधि में 98 बालक और 54 बालिकाएं जिला अस्पताल में जन्मी हैं। अधिकतर बच्चे सामान्य प्रसव से जन्मे हैं। इस अवधि में मात्र चार मामले हायर सेंटरों को रेफर किए गए हैं।
-वर्जन-
मैं गरीब परिवार की बेटी हूं। महिलाओं का दर्द से भिज्ञ हूं। डाक्टरी मेरा पेशा और उसे ईमानदारी के साथ निर्वहन कर रही हैं। कोई भी प्रसव पीड़िता मेरे अस्पताल से वापस नहीं जाए, इसकी पुरजोर कोशिश कर रही हूं। सरकार ने इसी के लिए यहां तैनाती दी है।
-शम्मी उनीशा, महिला चिकित्सक, कांडा, बागेश्वर।
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जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कांडा में लॉकडाउन के दौरान डाक्टरों ने बेहतर काम किया है। जिले का लिगानुपात 1000 पर 963 लड़कियां हैं। लिगानुपात में लगातार सुधार आ रहा है।
-डा. बीएस रावत, सीएमओ, बागेश्वर।