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विधुर जनों ने किए जीवन के अनुभव साझा

संवाद सहयोगी, चौखुटिया: बुधवार को यहां रमन पैलेस में आयोजित विधुर सम्मेलन में वक्ताओं ने

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 11:11 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 11:11 PM (IST)
विधुर जनों ने किए जीवन के अनुभव साझा
विधुर जनों ने किए जीवन के अनुभव साझा

संवाद सहयोगी, चौखुटिया: बुधवार को यहां रमन पैलेस में आयोजित विधुर सम्मेलन में वक्ताओं ने जीवन से जुड़ी आपबीती वेदना के अनुभवों को साझा किया। कहा कि विधुर जनों को समाज सेवा के लिए समर्पित होना होगा। ताकि वे अपने आप को अकेला महसूस न करें। बुजुर्ग जनों की समस्याओं व दिक्कतों को दूर करने के लिए विधुर संगठन खड़ा करने का निर्णय लिया गया। इस दौरान बुजुर्गो को डॉ. एलएस मनराल द्वारा लिखे पुस्तकों के सैट भी दिए गए।

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कार्यक्रम संयोजक एवं पूर्व ब्लॉक प्रमुख डॉ. लक्ष्मण सिंह मनराल ने सम्मेलन की सार्थकता पर विस्तार से चर्चा कर अपने एकांकी जीवन के कई अनुभव गिनाए। उन्होंने विधुर जनों से स्वयं को अकेला न समझते हुए समाज सेवा केलिए समर्पित होने का आह्वान किया। रिटायर्ड के. माधो सिंह बिष्ट ने जीवन के कई उदाहरण देते हुए विधुर जनों का उत्साहव‌र्द्धन किया। कहा कि संगठन के जरिए गरीब व जरूरतमंद की सेवा के आगे आना होगा।

सम्मेलन में विधूर संगठन खड़ा कर एक दूसरे के साथ सहयोग करने का फैसला लिया गया। अध्यक्षता 101 वर्ष के वयोवृद्ध विधुर नाथू राम जोशी ने किया तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षाविद् पूर्व प्रधानाचार्य जीवानंद जोशी मौजूद थे। सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रों से आए करीब पांच दर्जन विधुर जनों ने भाग लिया। अंत में विधुरजनों की पत्‍ि‌नयों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट को मौन भी रखा गया।

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कार्यक्रम में इन्होंने की भागीदारी

पूरन चंद्र पंत, जसवंत सिंह रौतेला, ध्यान सिंह बिष्ट, मोहन सिंह, राम लाल, धन सिंह, सुदान सिंह, जय दत्त, प्रेम गिरि, शिव राम, नंदन सिंह, कुंवर सिंह, जमन सिंह, नैन सिंह, घनानंद जोशी, माधो राम, कुंदन सिंह, पदमा दत्त, माधो राम, महेंद्र सिंह व हयात सिंह कठायत आदि।

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सम्मेलन के प्रति दिखा खासा उत्साह

पहली बार चौखुटिया में हुए विधुर सम्मेलन में प्रति वयोवृद्ध विधुर जनों में उत्साह पूर्वक भाग लिया। इसमें 101 वर्ष के पटलगांव निवासी नाथू राम जोशी ने दो बार के विधुर जीवन के अनुभव बताए। 92 वर्षीय शिक्षाविद् व पूर्व प्रधानाचार्य जीवानंद जोशी ने अनुशासित जीवन जीने की सीख दी। अन्य कई बुजुर्गो ने भी अपनी बात रखी।


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