सर्दी में सूखने लगे हलक, नए कनेक्शन पर रोक
अल्मोड़ा में सर्दी में पेयजल संकट गहरा गया है।
जेएनएन, अल्मोड़ा : सर्दी में पेयजल संकट गहरा गया है। आलम यह है कि अल्मोड़ा नगर व आसपास के 300 गांवों को रोजाना 16 मिलियन लीटर (एमएलडी) पानी की जरूरत है। मगर जल संस्थान ठीक आधी यानी आठ एमएलडी ही जलापूर्ति कर पा रहा। इससे हलकान विभाग ने नए पेयजल संयोजनों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। फिल्ट्रेशन प्लांट व पाइप लाइनों के बेदम होने से यह समस्या पैदा हुई है।
दरअसल, कोसी पंप हाउस स्थित फिल्ट्रेशन प्लांट की क्षमता बेहद कम है। केवल 8.5 एमएलडी की ताकत वाले प्लांट से मांग के अनुरूप जरूरत पूरा करना मुश्किल साबित हो रहा। रही सही कसर पुराने जर्जर पाइप लाइनों ने पूरी कर डाली है। इनकी क्षमता भी काफी कम है। ऐसे में मांग व आपूर्ति का समीकरण गड़बड़ा गया है। नतीजतन, जरूरत के अनुरूप लोगों को पानी मिलना दूभर हो गया है।
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'पेयजल लाइनों व फिल्ट्रेशन प्लांट की क्षमता कम होने के कारण जरूरत के अनुरूप जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। इससे पेयजल वितरण बुरी तरह प्रभावित हो गया है। मटेला में 25 करोड़ रुपये की लागत से नया 10 एमएलडी का फिल्ट्रेशन प्लांट स्थापित कर नइ पाइप लाइन बिछाने का कार्य शुरू हो चुका है। निर्माण पूरा होने के बाद काफी हद तक स्थिति में सुधार होगा।
- केएस खाती, अधिशासी अभियंता जल संस्थान'
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'हर घर को नल से जल' की मुहिम औंधे मुंह गिरी
= संकटग्रस्त हल्दियानी वाले बनाने लगे गांव छोड़ने का मन
संस, रानीखेत : जल जीवन मिशन हो या 'हर घर को नल से जल' मुहिम के दावों के उलट पर्वतीय क्षेत्रों में हालात एकदम उलट हैं। सुदूर गांवों में लोग सर्दी में पेयजल संकट से त्राहि त्राहि कर उठे हैं। कहीं योजनाएं ही नहीं। जहां हैं तो स्रोतों में पानी कम होने से खुद ही प्यासी पड़ी हैं।
हल्दियानी गाव (ताड़ीखेत ब्लाक) में 20 से ज्यादा परिवार पानी पानी को तरस गए हैं। नलों से पानी न टपकने से उन्हें करीब 300 मीटर दूर हैंडपंप से प्यास बुझानी पड़ रही। स्थानीय माधव सिंह, जीत सिंह, जीवन सिंह, कुंदन सिंह, सरस्वती देवी, गीता देवी, हेमा देवी, तुलसी देवी, सरिता देवी, गंगा देवी आदि ने बताया कि विभाग व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से वह हार चुके हैं। पेयजल व्यवस्था दुरुस्त न होने से ग्रामीण पलायन का मन बना रहे। ग्रामीणों ने यह भी तर्क दिया कि यदि हैंडपंप लगवा दिए जाएं तो कुछ राहत मिल सकती है।
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जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत ईड़ा अब भी प्यासी
द्वाराहाट : जनपद की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत ईड़ा में आश्वासन की घुट्टी के बावजूद पेयजल संकट दूर नहीं हो सका है। प्रशासन व विभाग की अनदेखी तथा वादाखिलाफी से नाराज ग्रामीणों ने बीती छह अक्टूबर से भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। 103 वर्षीय आमा गोपुलीदेवी को तक अनशन पर बैठना पड़ा। जनांदोलन से हलकान जल संस्थान ने नागार्जुन से पुरानी जर्जर पेयजल लाइन की मरम्मत का काम शुरू कराया। फिर मुख्यमंत्री के अल्मोड़ा पहुंचने पर पेयजल संकट का मुद्दा उठाए जाने के ऐलान पर विभाग ने गगास नदी क्षेत्र में दो स्थानों पर बोरिंग शुरू कराई। पांच नवंबर को विधायक महेश नेगी अनशन स्थल पर पहुंचे। पेयजल संकट से निजात दिलाने का भरोसा दिला भूख हड़ताल खत्म कराई। मगर प्रगति शून्य ही है। संघर्ष समिति संयोजक हेमंत सिंह बिष्ट ने बताया कि बोरिंग विफल हो चुकी है। पुरानी पेयजल योजना की मरम्मत तो की गई है लेकिन जलापूर्ति अब तक ठप है। ऐसे में ईड़ा गांव में पांच हजार की आबादी पानी पानी को तरस रही।