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हर साल 50 सेमी नीचे खिसक रहा भूमिगत जल स्तर

संवाद सहयोगी, रानीखेत : हिमालयी राज्य में धरा की कोख लगातार सूख रही है। उच्च पहाड़ा

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 10:55 PM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 10:55 PM (IST)
हर साल 50 सेमी नीचे खिसक रहा भूमिगत जल स्तर
हर साल 50 सेमी नीचे खिसक रहा भूमिगत जल स्तर

संवाद सहयोगी, रानीखेत : हिमालयी राज्य में धरा की कोख लगातार सूख रही है। उच्च पहाड़ों पर नदियों, सहायक स्रोतों व धारों के उद्गम स्थलों के इर्दगिर्द जरूरत के अनुरूप वर्षा जल के भूमिगत जलभंडार तक न पहुंचने से यह संकट साल दर साल बढ़ ही रहा। नतीजतन, पर्वतीय क्षेत्रों के अमृत सरीखे पानी में शीशा यानी लेड की मात्रा पांच गुना अधिक पाए जाने की नई चुनौती के बीच प्रत्येक वर्ष 30 से 50 सेमी भूमिगत जल में गिरावट ने वैज्ञानिकों को भी चिंता में डाल दिया है।

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तमाम कोशिशों के बावजूद हिमालयी राज्य में खाली होते भूमिगत जल भंडार भविष्य के लिए खतरनाक संकेत दे रहे। चिंताजनक पहलू यह कि तराई की तुलना में पर्वतीय भूभाग का भूमिगत जल तेजी से सूख रहा। जाहिर है, पहाड़ की कोख इसी तरह खाली होती रही तो तराई का भूजल भंडार कब तक जिंदा रहेंगे, यह सवाल अहम है। केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक वसीम अहमद ने कहा हिमालयी क्षेत्र में साल दर साल करीब 30 से 50 सेमी भूमिगत जल घट रहा है। इसके लिए उन्होंने पर्वतीय भूभाग में वर्षा जल को रोक भूजल तल तक न पहुंच पाना बताया।

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प्रो. रावत के कोसी पुनर्जनन महाअभियान को देना होगा बढ़ावा

क्षेत्रीय निदेशक केंद्रीय भूमि जल बोर्ड वसीम अहमद ने भूमिगत जल भंडारों को भरने के लिए पिछले ढाई दशक से जीवनदायिनी कोसी व अन्य गैरहिमानी नदियों के पुनर्जनन में जुटे स्पेशल जियोप्रोफेसर प्रो. जीवन सिंह रावत के प्रयासों को मील का पत्थर बताया। कहा कि प्रो. रावत की अध्ययन व शोध रिपोर्ट के अनुरूप कोसी में बैराज के साथ उसके पुनर्जनन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने होंगे। कहा कि प्रो. रावत की भूजल भंडार तक वर्षाजल को पहुंचाने के लिए शिखर की ओर उद्गम स्थलों पर यांत्रिक व जैविक उपायों की मुहिम को प्रोत्साहित किया जाएगा। वरिष्ठ भूजल वैज्ञानिक रवि कल्याण ने कहा, विभिन्न प्रकार की घास तथा नदी के भीतर करीब आधा मीटर ऊंची दीवार बनाकर पानी के बहाव को रोका जा सकता है। वहीं प्राकृतिक जल स्त्रोतों को संरक्षित करना होगा।

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तब डूब जाएगा भुजान वर्धो रोड

बैराज निर्माण के बाद शहीद बलवंत सिंह भुजान वर्धो मोटरमार्ग का 200 मीटर हिस्सा डूब जाएगा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार ऐसे में नई सड़क तैयार करनी होगी। इसका प्रस्ताव भी तैयार किया जाएगा।

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शुरुआती पड़ताल में मिली ठोस चट्टान

निदेशक भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (जीएसआइ) बीएम गैरोला ने बढेरी क्षेत्र को बैराज के लिए उपयुक्त माना है। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जाच में ठोस चट्टान पाई गई है। अभी और सर्वे के बाद इस पर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।


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