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पर्यावरण व बेटी बचाने का संदेश ले साइकिल से पहाड़ चढ़ा दिलीप

नागपुर (महाराष्ट्र) का 53 वर्षीय दिलीप भरत मलिक ऐसा देशभक्त है जो दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ भारत भ्रमण के लिए निकला है। अब तक करीब 15 हजार किमी की यात्रा कर चुके दिलीप भरत मलिक के सिर से यात्रा के बीच में माता का साया भी उठा लेकिन उसके हौसले में कमी नहीं आई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 05:52 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 05:52 PM (IST)
पर्यावरण व बेटी बचाने का संदेश ले साइकिल से पहाड़ चढ़ा दिलीप
पर्यावरण व बेटी बचाने का संदेश ले साइकिल से पहाड़ चढ़ा दिलीप

संस, द्वाराहाट : देश के लिए प्राणों की आहुति देना भले ही राष्ट्रप्रेम की पराकाष्ठा हो, लेकिन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने, पर्यावरण संरक्षण तथा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ संदेश के साथ साइकिल से 45711 किमी की यात्रा का संकल्प भी अपने देश की मिट्टी के लिए अपार स्नेह को दर्शाता है। नागपुर (महाराष्ट्र) का 53 वर्षीय दिलीप भरत मलिक ऐसा देशभक्त है जो दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ भारत भ्रमण के लिए निकला है। अब तक करीब 15 हजार किमी की यात्रा कर चुके दिलीप भरत मलिक के सिर से यात्रा के बीच में माता का साया भी उठा, लेकिन उसके हौसले में कमी नहीं आई। वह अपने उद्देश्य को पूरा करता हुआ द्वाराहाट पहुंचा। यहां के लोगों ने उसका उत्साहवर्धन किया।

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नागपुर (महाराष्ट्र) निवासी दिलीप भरत मलिक विभिन्न अभियानों में अब तक करीब छह लाख किमी की साइकिल यात्रा कर चुका है। माता के प्रोत्साहन पर करीब छह माह पूर्व भारत भ्रमण की योजना बनी। महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण करते हुए गुजरात, राजस्थान, पंजाब, कश्मीर के लेह से हिमाचल होकर दिलीप भरत मलिक उत्तराखंड पहुंचा। कपाट खुलने के पश्चात चारों धामों के दर्शन करने के बाद वह कर्णप्रयाग होते हुए द्वाराहाट पहुंचा। यहां से हल्द्वानी व उप्र होकर पश्चिम बंगाल, मेघालय आदि प्रांतों का भ्रमण कर वह पुन: नागपुर पहुंचेगा। जहां से चार चरणों में 45711 किमी यात्रा के लक्ष्य का दूसरा चरण शुरू होगा। इस जीवट व्यक्ति ने बताया कि मौजूदा यात्रा के दौरान माता की मृत्यु हो गई, लेकिन वह घर नहीं गया। क्योंकि माता की आज्ञा से ही यात्रा शुरू हुई थी। कहा कि यात्रा का उद्देश्य ज्ञात होने पर देश के लोग बहुत प्यार लुटा रहे हैं। इससे नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। कई बार मंदिरों, गुरुद्वारों में भी शरण लेनी पड़ी है। उनकी तीन संतान हैं। बेटी की शादी हो चुकी है और लड़के नौकरी कर घर चला रहे हैं। उत्तराखंड को बेहद खास बताते हुए दिलीप यहां की निजी यात्रा करने की अभिलाषा भी रखते हैं।


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