कमजोर शरीर को ताकत दे रहे मजबूत इरादे
इस वक्त पूरा देश वैश्रि्वक महामारी कोरोना से जंग लड़ रहा है। ऐसे में कुछ कमजोर शरीर वाले भी अच्छा काम कर रहे हैं।
जागरण टीम, स्यालदे/ चौखुटिया: इस वक्त पूरा देश वैश्रि्वक महामारी कोरोना से जंग लड़ रहा है। लॉकडाउन से जिंदगी ठहर सी गई है। मगर पहाड़ के सुदूर गावों के शारीरिक रूप से कमजोर किसानों का जुनून मिसाल पेश कर रहा है। उन बेरोजगारों के लिए एक प्रेरणा भी जो मानते हैं कि अभाव के पहाड़ में कुछ हो नहीं सकता। लॉकडाउन से मायूस होने के बजाय ये प्रबल इच्छा शक्ति वाले ये जिवट धरतीपुत्र अकेले दम पर न केवल खेती संवारने में जुटे हैं। बंपर पैदावार के जरिये बेहतर परिणाम भी दे रहे। हाड़तोड़ मेहनत का ही नतीजा है कि सब्जी के लिए बाजार पर निर्भरता करीब करीब खत्म हो चली है। वहीं अपना कोटा पूरा करने के बाद ये किसान आसपास के उन गावों का सहारा भी बन रहे, जहा खेती कम है और सब्जी उत्पादन कम होता है।
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सब्जी उत्पादन, साथ में मास्क व सैनिटाइजर भी
यही नहीं खेती के साथ संजीवनी विकास एवं जन कल्याण समिति से जुड़े ये किसान गांवों में शारीरिक दूरी का पाठ पढ़ा, सैनिटेशन व महामारी से बचाव को घर पर ही रहने का संदेश भी दे रहे। सब्जियों के साथ मास्क व सैनिटाइजर भी उपलब्ध करा रहे। मुख्य कार्यकारी महेश चंद्र सिंह घुघत्याल कहते हैं, प्रशासन के सहयोग से जिले में संचालित चाइल्ड लाइन 1098 हेल्प लाइन के कार्यकर्ता विशेष सतर्कता के साथ जनसेवा में जुटे हैं। खेती के साथ चौखुटिया व स्याल्दे के दूरस्थ गावों में अब तक 1500 मास्क, 500 सैनिटाइजर व 36 से ज्यादा गरीब परिवारों को राशन व सब्जियां मुहैया कराई जा चुकी।
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हौसला बढ़ाने को बढ़े मदद के हाथ
शरीर से कमजोर पर बुलंद हौसला देख संजीवनी संस्था व द हंस फाउंडेशन ने भी मदद को आगे आई है। संस्था के विशेषज्ञ गांवों में जाकर बाकायदा प्रोत्साहित करते हैं। अब तो वाट्सएप से उन्हें जोड़ समस्याओं का समाधान भी कर रहे। वहीं कृषि व सब्जी उत्पादन में लगे विभिन्न गांवों मे दो हजार से ज्यादा सब्जी उत्पादकों व सदस्यों के साथ ग्रामीणों को खेती से जोड़ा जा चुका है। दोनों ब्लॉक क्षेत्रों में इन किसानों की मदद को को एग्रो बिजनस केंद्र के जरिये बीज, औजार व अन्य कृषि निवेश मुहैया कराए जा रहे।
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'दो नाली में सब्जी उगा रहा। संजीवनी संस्था ने मुझे एक पॉलीहाउस लगाकर दिया। मुझे ट्रेनिंग भी दी। अपने खाने के अलावा लॉकडाउन में मैंने सब्जी बेच लगभग चार हजार रुपये की आमदनी अब तक कर ली है।
- नरेंद्र सिंह, पालंगबाड़ी गांव'
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'पारंपरिक से हटकर वैज्ञानिक तरीके से सब्जी उगा रहा। 600 वर्ग फुट में संस्था ने मुझे पॉलीहाउस लगा कर दिया। औसतन चार पांच हजार रुपये की सब्जियां बेच लेता हूं।
- राम सिंह, चितैली चौखुटिया'
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'शुरूआत में पॉलीहाउस में सब्जियां उगाई। आमदनी बढ़ने लगी तो 10 नाली में सब्जी उत्पादन कर रहा। 10 से 12 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। आसपास के लोगों को भी प्रेरित कर रहा। - कैलाश चंद्र, बसनल गांव चौखुटिया'
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'मैं और मेरे बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर हैं। पॉलीहाउस में सब्जी उत्पादन की तकनीक सीखी तो अब अच्छी आमदनी कर लेता हूं। सब्जी के साथ इसकी पौध भी बेचता हूं।
- भुवन नाथ, तामाढोंन स्याल्दे'