शिक्षा सत्र बीता, नया सत्र भी भगवान भरोसे
डीके जोशी, अल्मोड़ा: शासन व विभाग के नीति नियंताओं की अदूरदर्शिता के चलते जिले में शिक्षा
डीके जोशी, अल्मोड़ा: शासन व विभाग के नीति नियंताओं की अदूरदर्शिता के चलते जिले में शिक्षा सत्र 2017-2018 शिक्षकों के अभाव व कम पढ़ाई के बीच बीत गया। शिक्षकों की कमी के बीच विद्यालय जैसे तैसे संचालित हुए आलम यह रहा कि कक्षा 11 वीं के छात्र-छात्राओं को पूरे सत्र में पढ़ाई के लिए मात्र 7 माह ही मिल पाए। अब दो अप्रैल से शुरू हो रहे नए शिक्षा सत्र के लिए भी विद्यालयों को बिन संसाधनों के छोड़ दिया गया है। इससे अभिभावक अपने पाल्यों के हितों के लिए चिंतित हैं।
जिले के प्राथमिक से लेकर माध्यमिक विद्यालयों का शिक्षा सत्र आनन-फानन में बीत गया। कई विकास खंडों के विद्यार्थी शिक्षकों की कमी से जूझते रहे। शिक्षा सत्र 2017-18 विगत एक अप्रैल से आरंभ हुआ। इसके कुछ दिनों बाद हाईस्कूल-इंटर बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य शुरू हुआ। जिसमें शिक्षक करीब 15 दिन मूल्यांकन कार्य में व्यस्त रहे। इसके चलते छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर असर पड़ा। पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को शासन की ओर से उपलब्ध कराई जाने वाली निश्शुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण मई माह के आखिर तक होता रहा। इसके चलते उनकी पढ़ाई प्रभावित रही। सितंबर माह में प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर की संकुल व ब्लॉक स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। अधिकांश विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से बच्चे जूझते रहे। माध्यमिक विद्यालयों में रिक्त पड़े शिक्षकों के पदों पर काफी विलंब से अगस्त से अक्टूबर के बीच अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई और अक्टूबर द्वितीय पखवाड़े से अर्द्धवार्षिक परीक्षा करा ली गई। इसके तत्काल बाद जिला स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। नवंबर से 24 दिसंबर तक पढ़ाई हुई। तदुपरांत 25 दिसंबर से 31 जनवरी 2016 तक जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों में शीतकालीन अवकाश घोषित कर दिया गया। एक फरवरी को विद्यालय खुले और हाईस्कूल-इंटर बोर्ड परीक्षा से पहले ही माध्यमिक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं की गृह परीक्षा हो गई। इसके अलावा हवालबाग, स्याल्दे व चौखुटिया व लमगड़ा ब्लॉक के बच्चे शिक्षकों के लिए जूझते रहे। वहीं समयाभाव के कारण विज्ञान वर्ग के छात्रों को भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान के अनेक प्रयोगों से वंचित रहना पड़ा। माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व प्रांतीय महामंत्री डॉ. मनोज कुमार जोशी का कहना है कि अप्रैल से मार्च माह तक के शिक्षा सत्र का सबसे बड़ा खामियाजा हर साल कक्षा 11 के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। उनके लिए शिक्षा सत्र में विद्यालयी पढ़ाई के लिए मात्र 7 माह ही निकल पा रहे हैं। जिससे उनका कोर्स पूरा नहीं हो पाता है। इससे वह विषय के संपूर्ण ज्ञान से वंचित रहना पड़ता है। इसका असर उन्हें बाद में प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं में भुगतना पड़ता है।
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शिक्षकों की कमी से जूझते रहे विद्यालय
संवर्ग रिक्त
प्राथमिक 391
प्रवक्ता 316
एलटी 189
(नोट: इसके अलावा जिले में 431 विद्यालय एक-एक शिक्षक के भरोसे संचालित हुए, जिससे इन विद्यालयों के बच्चों को अपनी-अपनी कक्षाओं के विषयों के संपूर्ण ज्ञान से वंचित होना पड़ा।) ============== प्राथमिक के बच्चों के लिए पूरे शिक्षा
सत्र में न्यूनतम 200 दिन तथा माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षण कार्य के लिए 220 कार्यदिवस निर्धारित हैं। ऐसा प्रयास किया जा रहा है कि चालू शिक्षा सत्र 2018-19 में कक्षा 11 वीं के बच्चों को अधिकाधिक शिक्षण दिवसों का लाभ मिले।
-जगमोहन सोनी, मुख्य शिक्षा अधिकारी, अल्मोड़ा