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वैज्ञानिक तकनीक से होगा सिरौता नदी का उद्धार

गैरहिमानी नदियों व उनकी सहायक नदियों के संरक्षण को चल रहे अभियान में सिरौता नदी भी शामिल हुई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 11:14 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 06:17 AM (IST)
वैज्ञानिक तकनीक से होगा सिरौता नदी का उद्धार
वैज्ञानिक तकनीक से होगा सिरौता नदी का उद्धार

अल्मोड़ा, जेएनएन : कुमाऊं में गैरहिमानी नदियों व उनकी सहायक नदियों के संरक्षण को चल रही कवायद अब धरातल पर साकार होने लगी है। जीवनदायिनी कोसी, गोमती, गरुड़ गंगा, शिप्रा व कुजगढ़ के बाद अब कौशिकी की एक और सहायक सिरौता नदी को कोसी पुनर्जनन महाभियान का हिस्सा बना लिया गया है। डीएम के निर्देश पर विलुप्त होती सिरौता को भी अत्याधुनिक भौगोलिक सूचना विज्ञान (जीआइएस) तकनीक से पुनर्जीवित करने के लिए जल्द कार्ययोजना बनेगी। नेशनल जियो स्पेशल चेयरप्रोफेसर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रो. जीवन सिंह रावत सिरौता नदी के उद्गम स्थल, रिचार्ज जोन, सहायक नदियों व जलधारों तथा जलागम क्षेत्र आदि का भौगोलिक मानचित्र तैयार कर पुनर्जनन की राह दिखाएंगे। विलुप्त होती सिरौता नदी को पुनर्जीवित करने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों व पर्यावरण प्रेमियों की पहल रंग लाई है। जिला पंचायत सदस्य व पूर्व प्रमुख धन सिंह रावत ने डीएम नितिन सिंह भदौरिया से मिल सिरौता को कोसी पुनर्जनन महाभियान का हिस्सा बनाए जाने का आग्रह किया। डीएम ने सहमति दे डीडीओ को मनरेगा के तहत कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। ताकि बरसात पूर्व पुनर्जनन कार्य शुरू हो सके। इस दौरान कालनू ग्राम प्रधान गणेश राम व देहोली के कुंदन सिंह फत्र्याल भी मौजूद रहे।

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पर्यावरण प्रेमियों की बांछें खिलीं

सिरौता को कोसी महाभियान से जोड़ने के लिए विवेकानंद सेवा समिति अध्यक्ष काकड़ीघाट हरीश सिंह परिहार ने बीते वर्ष प्रस्ताव भेजा था। प्रशासन की ओर से अब झंडी मिलने पर उन्होंने क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि बताया। स्थानीय हीरा फत्र्याल ने भी जिपं सदस्य की पहल को सराहनीय बताया।

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चौबटिया व नैनीसार है उद्गम क्षेत्र

चौबटिया के निचले भू-भाग पर दलमोठी व भालू डैम तथा नैनीसार क्षेत्र है। करीब 20 किमी का सफर तय कर काकड़ीघाट में यह कोसी में मिलती है।

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जलागम क्षेत्र में करीब 40 गांव निर्भर

दलमोठी, सिमोली, सुंदरखाल, टनवानी, उरोली, नैनीसार (द्वाराहाट ब्लॉक), गड़स्यारी, बटुलिया, देहोली, डुंगरी, कालनू, मटीला, सूरी, शिवाली, पाखुड़ा, घिंघारी, गाड़ी, चौना, खड़कानी, ईनाड़, जाला, अलमियाकांडे, डुंगरा, कनार, खुडोली, खान, मंगडोली, ईड़ा, नौगांव, सिरोली, ओखीना, ओलिया गांव, बेड़गांव, हरड़ै, सड़का, सुनियाकोट, डोल, खरकिया, छिपडि़या, सौनी (ताड़ीखेत ब्लॉक) आदि निर्भर हैं। ::::::::::वर्जन-

सिरौता नदी को कोसी पुनर्जनन महाभियान में शामिल कर लिया है। डीडीओ की देखरेख में मनरेगा के तहत जैविक कार्य कराए जाएंगे। हमने कार्ययोजना बनाने को कहा है। वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. जीवन सिंह रावत सिरौता का भौगोलिक मानचित्र तैयार कर पुनर्जनन कार्य को गति देंगे।

- नितिन सिंह भदौरिया, डीएम ::::::::::ंवर्जन-

सिरौता नदी के संरक्षण को डीएम ने दिलचस्पी दिखा सहमति दे दी है। पुनर्जनन कार्यो से जलागम क्षेत्र में बसे गांवों को पानी व सिंचाई की बेहतर सुविधा मिल सकेगी। हमारी कोशिश है कि प्रशासन के साथ मिल प्रो. जीवन सिंह रावत की सलाह पर उद्गम की ओर अप्रैल के पहले सप्ताह से पौधरोपण व छोटे छोटे चैकडैम बनाने का काम शुरू करा देंगे।

-धन सिंह रावत, जिपं सदस्य व पूर्व ब्लॉक प्रमुख ================== ==================


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