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कश्मीर से 1940 में रानीखेत आया था परिवार, दादा से विरासत में मिली देशप्रेम की भावना

Rashtriya Ekta Diwas 2020 राष्ट्रीय अखंडता के संदेश लिखने वाले रोजी अली खान स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस ही नहीं बल्कि सभी धर्मो के तीज त्योहारों पर भी गांधी चौक की दीवार पर शुभकामना संदेश के साथ राष्ट्रीय एकता की पंक्तियां लिखना नहीं भूलते।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 09:14 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 09:57 AM (IST)
कश्मीर से 1940 में रानीखेत आया था परिवार, दादा से विरासत में मिली देशप्रेम की भावना
वर्षो से इस दीवार पर स्लोगन लिख एकता व भाईचारे का संदेश देते हैं रोजी अली खान।

दीप बोरा, अल्मोड़ा। कश्मीर की वादियों से इस देशप्रेमी के पुरखे पहाड़ आए तो यहीं के होकर रह गए। प्राचीन सांस्कृतिक, अध्यात्मिक नगरी के साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन में कुमाऊं के रणनीतिक केंद्रों में शुमार रानीखेत उन्हें रास आ गया। देशप्रेम की जो अलख बुजुर्गों ने जलाई थी, उससे सीख लेकर 77 वसंत पार कर चुका यह जुनूनी दीवारों पर स्लोगन व प्रेरक संदेश लिख राष्ट्रीय एकता का पाठ पढ़ाता है। दीवाली, होली व नवरात्र क्या, गुरुनानक देवजी हों या गुरुगोविंद सिंह जी महाराज की जयंती अथवा ईद। कौमी एकता की मिसाल यह बुजुर्ग सभी धर्मों को एक छत के नीचे आने की सीख भी देता है।

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नगर निवासी रोजीअली खान देशप्रेम व एकता की मिसाल हैं। रानीखेत के गांधी पार्क की दीवार पर राष्ट्रीय अखंडता के संदेश लिखने वाली रोजी अली शहर में गंगा जमुनी तहजीब को बढ़ावा देने में जुटे हैं। इसे शौक कहें या कौमी एकता की धुन, यही जुनून उन्हें एक अलग पहचान देता है। राष्ट्रीय एकता के मसीहा कहे जाने वाले लौह पुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल के विचारों से प्रभावित रोजी अली के दादा रमजानी अली कश्मीर से 1940 में रानीखेत आ गए थे। वह बताते हैं कि दादा में अथाह देशप्रेम था। वही संस्कार पिता रमजानी खान फिर उन्होंने अपनी पीढ़ी को दिए। रोजी अली स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के तीज त्योहार हों या मेले महोत्सव। करीब सप्ताह भर पहले से गांधी चौक की दीवार पर शुभकामना संदेश के साथ राष्ट्रीय एकता की पंक्तियां लिख खासकर युवाओं को देशप्रेम की सीख देते नजर आ जाते हैं।

वह बताते हैं कि बीते 50 वर्षों से शिलापटनुमा दीवार पर समाजसेवी भी हैं रोजी रोजीअली खान समाजसेवी भी हैं। बाल दिवस पर चाचा नेहरू से प्रेरित यह देशप्रेमी गांधी पार्क में चित्रकला प्रतियोगिता कराता है। जरूरतमंदों की क्षमता के अनुरूप मदद करना उनकी खूबी है। सामाजिक कार्यों के लिए तमाम संगठन उन्हें अलग अलग अवसरों पर सम्मानित भी करते आ रहे। पर्यावरण संक्षरण व बेटी बचाओ अभियान के लिए साइकिल यात्रा उनकी खासियत रही है। नवगठित उत्तराखंड के पहले अंतरिम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी जब रानीखेत आए थे तो रोजीअली खान के राष्ट्रीय एकता से जुड़ी पंक्तियां खूब पसंद आईं। खुश होकर तत्कालीन सीएम नित्यानंद स्वामी ने रोजीअली को साइकिल भेंट की थी।

संदेश देती कुछ खास पंक्तियां :

मत घबराओ इंसानों, अभी गीता व कुरान बाकी है।

हमसे तो पंछी भले, जो मंदिर और मस्जिद में बैठे।

लाख जमा कर लो हीरा मोती, लेकिन याद रख लो कि कफन में जेब नही होती।

कभी हम तुम थे इंसान, चुनाव आते ही तुम हिंदू हम हो गए मुसलमान...।


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