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पंपिग रही ठप, 40 हजार की आबादी को नहीं हुई जलापूर्ति

मटेला पंप हाउस से गुरुवार को नगर स्थित सर्किट हाउस तथा पातालदेवी जलाशयों के लिए पंपिग नहीं होने से जलापूर्ति ठप रही। इससे नगर की 40 हजार की आबादी को परेशानी का सामना करना पड़ा। लोगों ने नौलों व जलधारों से पानी भरकर अपनी जरूरत पूरी की।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 05:19 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 05:19 PM (IST)
पंपिग रही ठप, 40 हजार की आबादी को नहीं हुई जलापूर्ति
पंपिग रही ठप, 40 हजार की आबादी को नहीं हुई जलापूर्ति

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : मटेला पंप हाउस से गुरुवार को नगर स्थित सर्किट हाउस तथा पातालदेवी जलाशयों के लिए पंपिग नहीं होने से जलापूर्ति ठप रही। इससे नगर की 40 हजार की आबादी को परेशानी का सामना करना पड़ा। लोगों ने नौलों व जलधारों से पानी भरकर अपनी जरूरत पूरी की।

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गुरुवार सुबह मटेला से अल्मोड़ा के जलाशयों को पेयजल आपूर्ति करने वाले पंप का सेक्टर वाल्ब में तकनीकी खराबी आ जाने से नगर स्थित सर्किट हाउस व पातालदेवी जलाशयों के लिए पेयजल आपूर्ति नहीं हो सकी। इससे लोगों के घरों के लिए पेयजल आपूर्ति बाधित रही। पहले तो लोग पानी आने का इंतजार करते रहे, काफी देर बाद भी पानी नहीं आने पर उपभोक्ताओं ने संबंधित विभाग के कार्मिकों व अधिकारियों को फोन किया। पता चला कि गुरुवार को मटेला स्थित पंप में तकनीकी खराबी आ गई। इसके बाद उपभोक्ताओं ने अपने-अपने समीपवर्ती नौलों व धारों में जाकर पेयजल की व्यवस्था की। पेयजल व्यवस्था बाधित रहने से खोल्टा, रानीधारा, सरकार की आली व बाजार क्षेत्र के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। इधर जन अधिकार मंच व वरिष्ठ नागरिकों की संस्था डे केयर सेंटर का कहना है कि विभाग हर तीसरे माह जल कर तो समय पर वसूल लेता है, वहीं उपभोक्ताओं को सर्दी के मौसम में भी समय पर पेयजल उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इन संगठनों का कहना है कि विभाग को उपभोक्ताओं के हितों के दृष्टिगत समय रहते कारगर उपाय करने चाहिए। ताकि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

मटेला पंप हाउस के पंप के सेक्टर वाल्व में खरीबी आ जाने से यह समस्या पैदा हुई। इस कारण तीन घंटे पंप नहीं चला। जिससे सर्किट हाउस व पातालदेवी जलाशयों को पेयजल आपूर्ति नहीं हो सकी। इससे उपभोक्ताओं तक पानी नहीं पहुंच पाया। समस्या का समाधान कर दिया गया है। शुक्रवार से नियमित तौर पर जलापूर्ति की जाएगी।

- इं. केएस खाती, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान


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