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जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चाबंदी

अल्मोड़ा में ऐतिहासिक मल्ला महल प्रकरण अब गरमा गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 11:46 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 11:46 PM (IST)
जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चाबंदी
जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चाबंदी

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : ऐतिहासिक मल्ला महल प्रकरण अब गरमा गया है। संरक्षण कार्य में धांधली का आरोप लगाते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। बीते रोज कलक्ट्रेट से हिरासत में लिए गए पालिकाध्यक्ष प्रकाश जोशी व उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा) के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने संयुक्त रूप से कहा कि आंदोलन से काम न बना तो संरक्षण कार्यो की जांच को न्यायालय की शरण ली जाएगी। तिवारी ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व पुरातात्विक महत्व वाले विरासतीय स्थल में कराए जा रहे निर्माण कार्यो से संबंधित आरटीआइ को तक दबा दिया गया है।

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कलक्ट्रेट स्थित ऐतिहासिक मल्ला महल क्षेत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, पुरातत्वविदों, इतिहासकारों व स्थानीय जनप्रतिनिधि को विश्वास में लिए बगैर अकुशल कारीगरों से संरक्षण कार्य कराए जाने का काफी दिनों से तीखा विरोध चल रहा है। बीते गुरुवार को कलक्ट्रेट में धरना देने पहुंचे पालिकाध्यक्ष प्रकाश जोशी व उपपा नेता पीसी तिवारी समेत विभिन्न संगठनों के करीब 10 लोगों को पुलिस ने बलपूर्वक हिरासत में ले लिया था। बाद में सभी को छोड़ दिया गया था।

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शासन ने कार्रवाई न की तो आंदोलन : पालिकाध्यक्ष

शुक्रवार को सांस्कृतिक धरोहर बचाओ संघर्ष समिति की ओर से जिला प्रशासन के खिलाफ प्रेसवार्ता बुलाई गई। पालिकाध्यक्ष प्रकाश ने प्रशासन के व्यवहार को तानाशाही व दमनकारी नीति का प्रमाण बताया। कहा कि यह लोकतंत्र का मखौल है। शासन ने कलक्ट्रेट में मनमाने तरीके से कराए जा रहे संरक्षण कार्यो की जांच नहीं कराई तो आंदोलन तेज करेंगे। उन्होंने शनिवार को अल्मोड़ा पहुंच रहे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत के समक्ष भी प्रकरण उठाने का ऐलान किया।

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संरक्षण कार्यो की आड़ में बड़ा घोटाला : पीसी

उपपा नेता पीसी तिवारी ने मल्ला महल में संरक्षण कार्यो की आड़ में बड़े घोटाले की आशंका जताई। अरोप लगाया कि प्रशासन जल्द निर्माण पूरा कर घोटाले पर पर्दा डालने के प्रयास में जुटा है। यही वजह है कि पूर्व में मांगी गई आरटीआइ का अब तक जवाब नहीं दिया गया है। उन्होंने मांग उठाई कि सरकार जिला प्रशासन के खिलाफ केंद्रीय पुरातत्व इकाई व संस्कृति विभाग के विशेषज्ञों से जांच कराए। ऐतिहासिक स्थल में जो भी क्षति पहुंचाई गई है, उसके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो। यह भी कहा कि आंदोलन से असर न पड़ा तो न्यायालय की शरण ली जाएगी।


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