तीन साल में 50 से ज्यादा चोरी की गाड़ी बेची पहाड़ पर
संवाद सहयोगी, रानीखेत : ड्राई क्लीनर से अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह तक अतिकुर्रहमान का सफर बेशक
संवाद सहयोगी, रानीखेत : ड्राई क्लीनर से अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह तक अतिकुर्रहमान का सफर बेशक गुमनाम रहा, मगर यह शातिर पिछले तीन साल में लोगों को झांसे में लेकर 50 से ज्यादा लगजरी कारें पहाड़ में बेच चुका है। हालांकि यह आंकड़ा और अधिक होने का अंदेशा है। एक कार दो लाख की बेची तो एक से डेढ़ लाख तक सीधा कमीशन उसके लालच को बढ़ाता गया। चूंकि गिरोह का मास्टर माइंड उसका अपना बहनोई ही था लिहाजा चोरी की गाड़ियों को बेचने पर उसे अच्छा मुनाफा मिल रहा था।
सलाखों में पहुंचने के बाद रिमांड पर लिए गए अतिकुर्रहमान ने कुछ राज उगले हैं। एसओजी की पूछताछ उसने बताया कि वह पिछले तीन वर्षो से इस काले कारोबार से जुड़ा है। कबीर नगर शाहदरा (दिल्ली) में रहने वाला उसका बहनोई अमजद खान भी पेशे से ड्राई क्लीनर है। उसी ने अतिकुर्रहमान को दिल्ली से चोरी वाहनों को आपराधिक लिहाज से अमूमन शांत पहाड़ में ले जाकर बेचने का ऑफर दिया।
एक लगजरी गाड़ी बेचने पर मुनाफे का गणित अतिकुर्रहमान की समझ में आ गया। शुस्आत में उसने दो चार कारें बेची। एक कार में उसे एक से डेढ़ लाख मिलता। अच्छी कीमत पर खरीदार फंस गया तो मुनाफे का आंकड़ा पांच लाख तक भी पहुंच जाता। पुलिस सूत्रों की मानें तो बैठे बैठाए दिल्लीवासी मास्टर माइंड अमजद खान व अतिकुर्रहमान, दोनों को सीधा फायदा मिलने लगा। यही वजह है, पेशे से ड्राई क्लीनर अतिकुर्रहमान अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह को अपने बूते बेहद शातिराना अंदाज में अंजाम देने लगा।
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स्टांप पेपर पर ही सौदा
सूत्र बताते हैं कि अतिकुर्रहमान स्टांप पेपर के जरिये खरीदारों से सौदा तय कर कार या स्कूटी बेचता था। हैरत की बात है कि दिल्ली, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के नंबर की गाड़ियों की एनओसी के लिए खरीदारों को वह आसानी से झांसे में ले लेता था। ऐसे में कम कीमत पर लगजरी कार के लालच में खरीदार उस पर एनओसी का दबाव भी नहीं बनाते थे।
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बड़ा हो सकता है गिरोह का नेटवर्क
गिरोह का मास्टर माइंड दिल्लीवासी अमजद रामपुर तक चोरी के वाहन पहुंचाता था। वहां से अतिकुर्रहमान रानीखेत लाकर स्टॉक करता था। अंदेशा है कि रामपुर से रानीखेत के बीच गिरोह से कई और लोग भी जुड़े हो सकते हैं।