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जैविक खेती सिखाने वाले पहाड़ के खेत सींचना जरूरी

संवाद सहयोगी, रानीखेत : पर्यावरण एवं धरती को बगैर कोई क्षति पहुंचाए जैविक पद्धति से खेत

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 07:53 AM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 07:53 AM (IST)
जैविक खेती सिखाने वाले पहाड़ के खेत सींचना जरूरी
जैविक खेती सिखाने वाले पहाड़ के खेत सींचना जरूरी

संवाद सहयोगी, रानीखेत : पर्यावरण एवं धरती को बगैर कोई क्षति पहुंचाए जैविक पद्धति से खेती की कला सिखाने वाले उत्तराखंड के पहाड़ की घटती कृषि को भी बचाने की जरूरत है। इसके लिए जरूरत पड़ी तो हिमालयी राज्य व उत्तर प्रदेश के प्रगतिशील किसान मिलकर संसाधनों के अभाव से जूझ रही पर्वतीय खेती को बचाने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे। पहाड़ से जैविक खेती रूपी जो ज्ञान लेकर हम लौट रहे हैं, उसे उत्तर प्रदेश के उन गांवों को देंगे, जहां अंधाधुंध रासायनिक दवाओं व कीटनाशकों का प्रयोग कर मानव एवं मृदा स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा।

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यह विचार राज्य जैविक कृषि प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र मजखाली में पांच दिनी कार्यशाला के समापन समारोह में बुंदेलखंड, झांसी, रायबरेली व उन्नाव से पहुंचे जैविक किसानों ने कही। रसायनमुक्त खेती का संदेश दे हरचंदपुर ब्लॉक के लगभग 400 गांवों के किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक कर रही रायबरेली निवासी प्रगतिशील किसान एवं समाजसेवी कमलादेवी अवस्थी को सम्मानित किया गया। उन्होंने काव्यपाठ के जरिये उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड को जैविक राज्य बनाने के लिए बड़ी मुहिम चलाने का संकल्प भी लिया।

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महिलाओं के बूते उन्नत बनेंगे दोनों राज्य : डॉ. अनीता

कृषि निदेशालय लखनऊ से पहुंची वैज्ञानिक डॉ. अनीता सिंह ने कहा, उत्तर प्रदेश हो या उत्तराखंड, दोनों ही राज्यों में खेती को उन्नत बनाना है तो मातृशक्ति को प्रोत्साहित करना ही होगा। कहा कि 80 फीसद महिलाएं खेतीकिसानी से जुड़ी हैं। उन्हीं की बदौलत हम कृषि कार्य के जरिये अपने गांव समाज व राज्य को उन्नत बना सकते हैं। डॉ. अनीता ने कहा, खेती रूपी मित्रता दोनों प्रदेशों को खुशहाल बनाएगी।

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बेहद अहम रही कार्यशाला

राज्य जैविक कृषि प्रशिक्षण व अनुसंधान केंद्र प्रभारी डॉ. देवेंद्र सिंह नेगी ने कहा, वर्ष 2003 से शनिवार तक 500 शिविर पूरे हो गए हैं। मौजूदा चुनौतियों के बीच जैविक खेती के लिहाज से यह कार्यशाला बेहद महत्वपूर्ण रही। इसमें उत्तर प्रदेश के किसानों ने पहाड़ की खेती को बचाने का जो संदेश दिया है, निश्चित तौर पर इस दिशा में तेजी से काम किया जाएगा।

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ये रहे मौजूद

केंद्र प्रबंधक मनोहर सिंह अधिकारी, डॉ. सुमन महान, प्रगतिशील किसान मधु सिंह, सदावती विश्वकर्मा, हरिहर सिंह, पूरन लाल कुशवाहा, रानी कुशवाहा, अनीता कुशवाहा, शिव कुमारी, गीतांजलि मेहरा आदि।


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