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हवालबाग व ताकुला की मिट्टी से नमी नदारद

यासिर खान अल्मोड़ा नदियों के पुनर्जनन और नौलों के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 04:42 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 04:42 PM (IST)
हवालबाग व ताकुला की मिट्टी से नमी नदारद
हवालबाग व ताकुला की मिट्टी से नमी नदारद

यासिर खान, अल्मोड़ा

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नदियों के पुनर्जनन और नौलों के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन नदियों के आस-पास के क्षेत्र में ही मिट्टी से नमी कम होती जा रही हैं। जिले में कोसी नदी की गोद में बसने के बावजूद भी सबसे अधिक हवालबाग और ताकुला ब्लाक प्रभावित है। दोनों ब्लाकों में चार वर्षों के भीतर मृदा आ‌र्द्रता क्रिटिकल जोन यानी संवेदनशील श्रेणी में है। यही हाल रहा तो भविष्य में दोनों ही क्षेत्रों में जल स्त्रोत सूखने के साथ ही अन्य समस्याएं भी सामने आ सकती हैं। हवालबाग, ताकुला, ताड़ीखेत ब्लाकों से होते हुए गुजरने वाली कोसी नदी जिले की शाख मानी जाती है। नदी से सटे क्षेत्रों में पेयजल की अपार संभावनाएं भी है। लेकिन चिता की बात है कि नदी से सटे क्षेत्रों में ही मृदा आ‌र्द्रता कम होती जा रही है। मिट्टी से नमी नदारद होने लगी है। सेटेलाइट के माध्यम से लिए गए सायल माइस्चर इंडेक्स के आंकड़े बताते है कि 2017 के बाद से लगातार मिट्टी में नमी कम होना शुरू हुई है। वर्ष 2017 में हवालबाग और ताकुला ब्लाक के अंतर्गत कोसी नदी से सटे क्षेत्रों में सायल माइस्चर इंडेक्स की अधिकतम वेल्यू 0.41 और न्यूनतम 0.11 रेश्यू थी। जबकि 2021 में अधिकतम 0.43 और न्यूनतम 0.10 रेश्यू दर्ज की गई है। हालांकि 2021 में मानसून के समय लिए गए आंकड़े के अनुसार अधिकतम वेल्यू बढ़ी लेकिन इसके बाद भी न्यूनतम वेल्यू में कमी आई है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी न्यूनतम वैल्यू कम से कम 0.3 रेश्यू होनी चाहिए। इससे कम वैल्यू होने पर क्षेत्र को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। ताकुला ब्लाक में 45 प्रतिशत क्षेत्र संवेदनशील श्रेणी में जा पहुंचा है। वहीं हवालबाग का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा संवेदनशील है। जबकि दोनों ब्लाक कोसी नदी की गोद में बसे हैं। नदी के आस-पास भी मृदा आ‌र्द्रता कम होना चिता का विषय है। ------इनसेट----- जंगल जलने और केनोपी कवर कम होने से बढ़ा संकट अल्मोड़ा: पौधे पृथ्वी के लिए केनोपी कवर की तरह कार्य करते हैं। लगातार जंगल जलने और केनोपी कवर कम होने से भी मृदा की आ‌र्द्रता कम होती जा रही है। इससे सूरज की किरणे सीधे धरती पर पहुंच रही हैं। जिससे मिट्टी से नमी नदारद हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार जंगलों के कटान से धरती में सीधे पहुंच रही सूरज की किरणों के कारण मिट्टी से नमी गायब होती जा रही है। -----इनसेट------- स्याही देवी और कौसानी के जंगलों ने बचाई लाज अल्मोड़ा: हवालबाग ब्लाक के अंतर्गत स्याही देवी के जंगल और ताकुला में कौसानी से सटे कुछ बांज के जंगलों ने मिट्टी की आ‌र्द्रता बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान में इन्हीें क्षेत्रों में मिट्टी की नमी बरकरार है। मिट्टी में नमी न रही तो आने वाले समय में पेयजल संकट जैसी समस्याएं बढ़ सकती है। इससे बचाव के लिए पौधा रोपण अभियान के साथ ही पौधों को संरक्षित करने की भी जरूरत है। ----वर्जन----- ताकुला और हवालबाग ब्लाक में मिट्टी की आ‌र्द्रता कम हुई है। सायल माइस्चर इंडेक्स के आंकड़ों के अनुसार कोसी नदी से सटे दोनों ब्लाक क्रिटिकल जोन में हैं। सायल माइस्चर कम होता जा रहा है। -शिवेंद्र प्रताप सिंह, परियोजना प्रबंधक कोसी पुनर्जनन अभियान।


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