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निर्णायक मोड़ की ओर बढ़ा भारत अमेरिकी संयुक्त युद्धाभ्यास

संवाद सहयोगी, रानीखेत : भारत व अमेरिका का 14वां संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास अब अंतिम पड़ाव की अ

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 11:15 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 11:15 PM (IST)
निर्णायक मोड़ की ओर बढ़ा भारत अमेरिकी संयुक्त युद्धाभ्यास
निर्णायक मोड़ की ओर बढ़ा भारत अमेरिकी संयुक्त युद्धाभ्यास

संवाद सहयोगी, रानीखेत : भारत व अमेरिका का 14वां संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास अब अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ गया है। 'काउंटर इंसर्जेसी व काउंटर आतंकवाद' थीम पर 'माउंटेन अटैक', 'क्लिफ टॉप असॉल्ट', 'किल बॉक्स', 'सर्च एंड डिस्ट्रॉय' आदि तमाम ऑपरेशन को युद्धाभ्यास के जरिये बखूबी अंजाम देने के बाद दोनों गणतांत्रिक देशों के सैन्य विशेषज्ञों व सैनिकों ने दुश्मन के खिलाफ अहम भूमिका निभाने वाले 'सूचना तंत्र' पर तकनीक साझा की। सैन्य सूत्रों के अनुसार किसी भी किस्म की घुसपैठ को रोकने व घुसपैठियों के ठिकानों का पता लगाने में सटीक सूचनाओं की भूमिका अहम होती है।

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भारतीय सेना जमीनी जंग के साथ आम नागरिकों से बेहतर तालमेल कर सूचनाएं जुटा कर अमुक आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में भी माहिर मानी जाती है। 15-गढ़वाल रायफल्स की अगुवाई में चौबटिया सैन्य छावनी क्षेत्र में बीते रोज अब तक के सबसे बड़े 'कार्डन एंड सर्च' ऑपरेशन के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने सूचना तंत्र से जुड़े मोबाइल ऑपरेशन कक्ष में तकनीक का आदान प्रदान किया।

बतौर मुख्य अतिथि चीफ ऑफ स्टाफ (मध्य कमान लखनऊ) लेफ्टिनेंट जनरल जेके शर्मा ने ऑपरेशन कक्ष का दौरा कर युद्धाभ्यास की तैयारियों का जायजा लिया। गरुड़ डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल (सेना मेडल) कवींद्र सिंह ने लेफ्टिनेंट जनरल शर्मा को 16 सितंबर से शुरू भारत व अमेरिका के युद्धाभ्यास के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया।

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कमान पोस्ट का जायजा लिया

चीफ ऑफ स्टाफ (मध्य कमान लखनऊ) लेफ्टिनेंट जनरल जेके शर्मा ने चौबटिया सैन्य छावनी क्षेत्र में कमान पोस्ट का भी जायजा लिया। भारतीय व अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञों व अधिकारियों से युद्धाभ्यास से जुड़े पुराने अनुभव, युद्ध तकनीक आदि पर विचार साझा किए। लेफ्टिनेंटन जनरल शर्मा ने कहा कि वर्ष 2004 में विश्व के दो गणतांत्रिक देशों के बीच छोटे स्तर से शुरू युद्धाभ्यास अब डिवीजनल व बटालियन स्तर पर पहुंच चुका है। इससे दोनों देशों को भविष्य में खासतौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) के चार्टर व बैनर तले होने वाले विविध ऑपरेशन में भी बड़ी मदद मिलेगी।


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