चुनौतियों के पहाड़ में कैसे हो किसान की आय दोगुनी
संवाद सूत्र, ताड़ीखेत (रानीखेत) : सूखा तो कभी अतिवृष्टि की मार। जंगली जानवरों का कहर सो अलग।
संवाद सूत्र, ताड़ीखेत (रानीखेत) : सूखा तो कभी अतिवृष्टि की मार। जंगली जानवरों का कहर सो अलग। उस पर सिंचाई संसाधनों का अभाव। चौतरफा चुनौतियों से घिरी पर्वतीय कृषि को बचाने तथा किसानों को खेती से कैसे जोड़े रखा जाय, इस पर गहन चिंतन मनन किया गया। विशेषज्ञों ने सरकारी योजनाओं को हर छोटे किसान तक पहुंचाने की जरूरत बताते हुए वैज्ञानिक तकनीक अपनाने की भी वकालत की। कहा कि उन्नत बीज, समय समय पर मृदा की जांच, जैविक खाद आदि के इस्तेमाल से पहाड़ की खेती को संवारा जा सकता है।
ब्लॉक सभागार में शनिवार को किसान गोष्ठी हुई। शुभारंभ कृषि अधिकारी धीरज कुमार ने किया। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र के किसान उन्नत बीज का इस्तेमाल तथा जैविक खेती को बढ़ावा देकर आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं। बेहतर उत्पादन के लिए मृदा परीक्षण व जुताई को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया।
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उद्यानिकी से होगा दोहरा लाभ
उद्यान अधिकारी इंद्र लाल ने कहा कि विभाग बागवानी के जरिये वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में ठोस प्रयास कर रहा है। किसानों को मुख्य फसलों के साथ बागवानी विकास से भी जोड़ा जा रहा है। उन्नत किस्म की फल प्रजातियों के पौधे बांटने के साथ ही पॉलीहाउस, वर्मी कंपोस्ट पिट तैयार करने, फूलों की खेती आदि का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा।
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पशुपालन भी सुधारेगा माली हालत
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. ममता यादव व डॉ. जयपाल करगेती ने कहा कि उन्नत खेती के साथ अच्छी नस्ल के मवेशियों का पालन कर पर्वतीय किसान आर्थिक रीढ़ मजबूत कर सकता है। उन्होंने कहा कि दुग्ध व्यवसाय के जरिये कृषक नई श्वेत क्रांति में भी हाथ बंटाएं। दोनों अधिकारियों ने मवेशियों में होने वाले रोग व बचाव के तरीके भी बताए।
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समूहों के स्प में काम करें
आजीविका परियोजना समन्वयक धमर्ेंद्र कुमार सिंह पंवार ने समूहों के जरिये कृषि उत्पादों के विपणन की जानकारी दी। संचालन सहायक कृषि अधिकारी आनंद सिंह मेहरा ने किया। गोष्ठी में बीडीओ बालम सिंह, कैलाश चंद पुजारी, राम सिंह नेगी, प्रियंका कंबडवाल, जीवन बुधानी, नारायण सिंह, हरी राम, लालूराम, नंदराम, विवेक पांडे, कैलाश सती, मोहन सिंह आदि मौजूद रहे।