प्राधिकरण को समाप्त करने का आदेश जारी करे सरकार
अल्मोड़ा में जिला विकास प्राधिकरण को पूरी तरह समाप्त कर भवन मानचित्र स्वीकृति का समस्त अधिकार नगरपालिका को देने की माग करते हुए सर्वदलीय संघर्ष समिति ने मंगलवार को गांधी पार्क में धरना दिया।
संस, अल्मोड़ा: जिला विकास प्राधिकरण को पूरी तरह समाप्त कर भवन मानचित्र स्वीकृति का समस्त अधिकार नगरपालिका को देने की मांग करते हुए सर्वदलीय संघर्ष समिति ने मंगलवार को गांधी पार्क में धरना दिया।
समिति के संयोजक पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी ने कहा कि उत्तराखंड के दो मुख्यमंत्रियों के प्राधिकरण को समाप्त करने की घोषणा के बाद भी सरकार ने केवल प्राधिकरण को स्थगित करने का शासनादेश जारी किया जो जनता को भ्रमित करने वाला है। सरकार स्पष्ट करे कि प्राधिकरण को समाप्त कर दिया गया है या स्थगित किया गया है। इस मामले में मंत्रियों व अधिकारियों के बयानों में भिन्नता है। पालिकाध्यक्ष ने कहा कि भवन निर्माण की योजना बना रहे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। धरने के दौरान सरकार से जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण पूरी तरह समाप्त करने के स्पष्ट आदेश जारी करने तथा शहरी क्षेत्रों में भवन मानचित्र स्वीकृति के समस्त अधिकार पालिका को वापस देने की मांग की गई।
धरने में उपपा केंद्रीय सचिव आनंदी वर्मा, हर्ष कनवाल, दीपांशु पांडे, तारा चंद्र जोशी, आनंद बगडवाल, चन्द्रकांत जोशी, एनडी पांडे, लक्ष्मण सिंह ऐठानी, अख्तर हुसैन, चंद्रमणि भट्ट, सुनयना मेहरा, हेम तिवारी, तारा चंद्र साह, अवनी अवस्थी, पुष्कर पांडे मौजूद रहे।
उधर अशासकीय विद्यालयों में इंटर विज्ञान विषय की वित्तीय मान्यता देने की मांग तेज हो गई है। मंगलवार को जिले के प्रभारी मंत्री अरविद पांडेय को कॉलेजों के प्रबंधकों ने ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि जिले के अशासकीय विद्यालय इंटर कॉलेज गागरीगोल, दफौट, हरसीला, दोफाड़, असों, फरसाली, शामा, कमेड़ीदेवी, सनेती, विजयपुर, घिघारतोला आदि में लंबे समय से इंटर की कक्षाओं में विज्ञान वर्ग की वित्तीय मान्यता नहीं मिल सकी है। जिससे छात्र-छात्राओं को विज्ञान वर्ग का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्हें मजबूरन दूसरे कॉलेज में एडमिशन लेना पड़ रहा है। आठ से दस किमी दूर दूसरे स्कूल जाने में उन्हें दिक्कत हो रही है। इस मौके पर दीपक पाठक, जगदीश कालाकोटी, विक्रम शाही, दीप चंद्र पाठक, रघुवीर दफौटी, रमेश चंद्र, योगेश हरड़िया आदि मौजूद थे।