Move to Jagran APP

सरकार को रास नहीं आ रही रसभरे माल्टे की मिठास

अल्मोड़ा जनपद की फल उत्पादक पट्टियों में अबकी सीजन नीबू प्रजाति का बहुतायत में उगा है मगर विपणन की सुविधा और समर्थन मूल्य घोषित न करने पर दोहरी मार झेल रहे काश्तकार।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 04:59 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 05:01 PM (IST)
सरकार को रास नहीं आ रही रसभरे माल्टे की मिठास
सरकार को रास नहीं आ रही रसभरे माल्टे की मिठास

जागरण टीम, अल्मोड़ा/ रानीखेत : जनपद की फल उत्पादक पट्टियों में अबकी सीजन नीबू प्रजाति के फलों खासतौर पर माल्टा उत्पादन सुकून दे रहा। मगर अफसोस कि धरतीपुत्रों की हाड़तोड़ मेहनत से बेहतर उपज के बावजूद उन्हें प्रोत्साहित करने को राज्य सरकार की ओर से अब तक समर्थन मूल्य तक घोषित नहीं किया गया है। विभागीय स्तर पर कई बार प्रस्ताव भेजे जाने के बाद भी शासन स्तर से फिलहाल कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

loksabha election banner

जनपद के विभिन्न विकासखंडों में माल्टा, कागजी नींबू व गलगल का रकबा करीब 4300 हेक्टेयर है। खास यह कि इसमें 50 फीसद क्षेत्रफल में माल्टा के बागान हैं। बीते वर्ष 33700 मीट्रिक टन पैदावार हुई। इस बार भी अच्छे उत्पादन की उम्मीद है। इससे वैश्विक महासंकट के कारण लागू लाकडाउन में घाटा झेल चुके फल व सब्जी उत्पादकों को उबरने की आस जगी है। उद्यान विभाग भी इस दिशा में जमीनी स्तर पर काफी सक्रिय है मगर सरकार की बेरुखी फल उत्पादकों को मायूस कर रही है। इस वर्ष नीबू प्रजाति के फलों की अच्छी पैदावार तो हुई है लेकिन राज्य सरकार की ओर से समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया जा सका है। वहीं पहाड़ के फल उत्पादकों को विपणन के अभाव में बाजार की मनमानी भी झेलनी पड़ सकती है।

============

मिनी मंडियों को तरसा पहाड़

वर्ष 2014 में पूर्ववर्ती काग्रेस सरकार ने फल व सब्जी उत्पादक गांवों का कलेक्टर बना मिनी मंडियां स्थापित किए जाने की योजना बनाई थी। हरीश रावत सरकार ने बकायदा सेब आलू की तर्ज पर माल्टा, नीबू और गलगल की ग्रेडिंग व्यवस्था भी शुरू कराई। बाद में निजाम बदला तो नई मौजूदा सरकार में फिलहाल फल उत्पादकों के हित में अब तक ठोस कदम नहीं उठाए जा सके हैं। ऐसे में पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों को विपणन की बेहतर व्यवस्था तथा उचित बाजार मुहैया कराने को मिनी मंडी का सपना अधूरा रह गया।

========

पड़ोसी बेतालघाट में पैदावार घटी

उधर ताड़ीखेत से सटे बेतालघाट विकासखंड स्थित माल्टा उत्पादक बजेड़ी गांव में उत्पादन कम होने के आसार हैं। प्रगतिशील किसान हीरा सिंह का कहना है कि मुनाफा तो दूर लागत वसूलना ही दूभर हो रहा है।

=========

'ग्रेडिंग की व्यवस्था करा रहे हैं। वैसे काश्तकार खुद भी अपने फलों की ग्रेडिंग कर उसी के हिसाब से बेचता है। उम्मीद है इस बार भी नीबू प्रजाति के फलों का उत्पादन बेहतर होगा। किसानों को नुकसान नहीं हो, इसके लिए विभागीय स्तर पर प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।

- त्रिलोकी नाथ पाडेय, मुख्य उद्यान अधिकारी'

======= ======


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.