मटीला वन क्षेत्र में लगी आग, लाखों की वन संपदा जली
पर्वतीय क्षेत्रों में शीतकाल में फायर सीजन से भी ज्यादा विकट हालात हो चले हैं। अराजक तत्वों की करतूतों से जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
संस, अल्मोड़ा : पर्वतीय क्षेत्रों में शीतकाल में फायर सीजन से भी ज्यादा विकट हालात हो चले हैं। अराजक तत्वों की करतूत से वनाग्नि पर नियंत्रण बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। इधर शीतलाखेत के मटेला आरक्षित वन क्षेत्र का बड़ा हिस्सा आग से तबाह हो गया। लाखों की वनसंपदा लपटों की चपेट में आकर राख हो गई। देर शाम वन कर्मियों के साथ महिला मंगल दल मटीला की मातृशक्ति ने घंटों की मशक्कत के बाद बमुश्किल आग पर काबू पाया। जिससे लोगों ने राहत की सांस ली।
मटीला गांव के पास कुछ अराजक तत्वों ने बीती गुरुवार को तीन स्थानों पर आग लगा दी थी। वन विभाग व जनरखाड़ी तोक के ग्रामीणों ने तब लपटों पर नियंत्रण पा लिया था। मगर शुक्रवार को चिंगारी फिर भड़क उठी। महिला मंगल दल मटीला की महिलाओं ने वन विभाग के कर्मचारियों के साथ मोर्चा संभाला। देर शाम करीब सात बजे इंद्रा देवी, आशा देवी, सुनीता बिष्ट, पदमा देवी, माया देवी, पूजा, विमला देवी, पुष्पा देवी, गोपुली देवी, सरूली देवी, हंसी देवी, मुन्नी देवी, लीला देवी, मोहिनी देवी, नीमा देवी, दुर्गा देवी, वीरेंद्र सिंह व सुंदर सिंह के साथ बीट अधिकारी कुबेर कुमार, श्याम, सूरज, बिहारी लाल, राजन राम, दर्शन सिंह आदि ने देर शाम करीब सात बजे लपटों पर नियंत्रण पा लिया। क्षेत्रवासियों ने वनाग्नि पर नियंत्रण में सहयोग करने वाली महिलाओं को जरूरी उपकरण मुहैया कराने पर जोर देते हुए अरसे से रिक्त पड़े वन बीट अधिकारी के पदों को भरने की माग उठाई है। उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में अराजक तत्वों ने जंगलों में आग लगाई तो इसके लिए विभागीय उच्चाधिकारियों की हीलाहवाली जिम्मेदार होगी।