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ईजा, बैणि राधा ब्या करी बाद करन अपण ब्या

गणेश पांडे, पालड़ी (अल्मोड़ा) : भनोली तहसील के पालड़ी गांव के शहीद सूरज भाकुनी की श

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Dec 2018 08:54 AM (IST)Updated: Tue, 04 Dec 2018 08:54 AM (IST)
ईजा, बैणि राधा ब्या करी बाद करन अपण ब्या
ईजा, बैणि राधा ब्या करी बाद करन अपण ब्या

गणेश पांडे, पालड़ी (अल्मोड़ा) : भनोली तहसील के पालड़ी गांव के शहीद सूरज भाकुनी की शहादत की खबर जब उसकी बूढ़ी मा को मिली तो वह बेहाल हो गई। कुछ दिनों पहले घर आए बेटे की कही एक एक बात उसे कुरेद रही थी। रोती और फिर निढाल होकर नीचे गिर पड़ती। इस बार जब सूरज घर आया तो मां ने उससे भी उसके विवाह की बात कही। लेकिन सूरज ने कहा था ईजा, बैणि राधा ब्या करी बाद करन अपण ब्या। सूरज की माता सीता देवी के मुंह से बेटे के यही शब्द निकलते और थोड़ी देर बाद वह फिर बदहवास होकर नीचे गिर पड़ती।

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शनिवार को जम्मू में हुए विस्फोट में सूरज के शहीद होने के बाद सोमवार की सुबह तक उसकी बूढ़ी मां सीता देवी, दादी रधुली देवी व बहन को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। लेकिन सोमवार को जब धीरे धीरे उनके घर पर लोगों का एकत्र होना शुरू हुआ तो तीनों का मन खटकने लगा था। पिता के चेहरे पर मायूसी देख राधा को लगने लगा था कि उनसे कुछ छिपाया जा रहा है। करीब साढ़े नौ बजे के पास जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर अल्मोड़ा पहुंचा तो पिता नारायण सिंह ने जम्मू में हुए हादसे की जानकारी परिजनों को दे दी। जिसके बाद से माता सीता देवी, दादी रधुली देवी और बहन राधा बदहवास हो गए। तीनों को यकीन नहीं हो रहा था कि सूरज अब इस दुनिया में नहीं है। करीब दस बजे के आसपास मुंबई में रहने वाली बड़ी बहन हरिता अपने छोटे भाई चंदन भाकुनी और परिवार के अन्य लोगों के साथ गांव पहुंच गई थी। गांव में रोते बिलखते भाई बहनों, माता और दादी को देखकर हर किसी की आंखे नम हो रही थी और सूरज के पार्थिव शरीर का इंतजार दर्द को और बढ़ाने का काम कर रहा था। पिता नारायण सिंह भाकुनी सीने पर पत्थर रखकर आने जाने वाले लोगों से मिल रहे थे। बेटे की शहादत पर उन्हें फक्र तो था लेकिन जवान बेटे के चले जाने का गम भी उन्हें अंदर ही अंदर साल रहा था। लेकिन नियति के आगे कोई कर भी क्या सकता था। नारायण सिंह के घर पर दिन भर आने जाने वालों का तांता था, हर कोई अपनी माटी के लिए जान कुर्बान कर देने वाले शहीद को अंतिम विदाई देने यहां पहुंचा था।


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