बाड़ीकोट में आदमखोर गुलदार के आतंक का खात्मा
संसू भिकियासैंण (अल्मोड़ा) बाड़ीकोट में आतंक का पर्याय आदमखोर मादा गुलदार ढेर हो
संसू, भिकियासैंण (अल्मोड़ा) : बाड़ीकोट में आतंक का पर्याय आदमखोर मादा गुलदार ढेर हो ही गई। सोमवार शाम शिकारी की गोलियों से घायल गुलदार जंगलनुमा झाडि़यों में जा घुसी थी। मंगलवार सुबह वन क्षेत्राधिकारी हरीश टम्टा व विशेषज्ञ शूटर लखपत सिंह रावत के संयुक्त नेतृत्व में 13 सदस्यीय विभागीय दल ने करीब सवा दो घंटे तक सर्च अभियान चलाकर आदमखोर का शव बरामद कर लिया। नाखून व दांत घिस चुके थे। उसकी लंबाई 2.1 मीटर व ऊंचाई 0.74 मीटर थी। गुलदार बुढ़ापे की दहलीज पर थी। इसी वजह से जंगल से आबादी की ओर आसान शिकार की तलाश में नरभक्षी बन गई। पूरे ऑपरेशन पर डीएफओ महातिम सिंह यादव नजर रखे रहे।
बीती सोमवार शाम नगर पंचायत के गाधी नगर वार्ड स्थित बाड़ीकोट कस्बे में उसी स्थान पर नरभक्षी गुलदार पर निशाना साधा गया था, जहा पर उसने पिछले माह 19 सितंबर की शाम सात वर्षीय बच्ची को मारा था। विशेषज्ञ शूटर लखपत सिंह रावत अपने शागिर्द बिजनौर निवासी राष्ट्रीय निशानेबाज अली अदनान के साथ उस स्थान पर नजर रखे रहे जिस ओर आदमखोर की गतिविधियां थीं। सोमवार को गुलदार दिखने पर उस पर दो गोलियां दागी गई थी। एक पीठ पर लगी जो उसके पेट से होकर पार हुई। दूसरी कंधे पर लगी थी। घायल आदमखोर जंगलनुमा कुर्री (लैंटाना) की झाडि़यों में जा छिपी थी। अंधेरा बढ़ने के कारण डीएफओ महातिम के निर्देश पर वन क्षेत्राधिकारी हरीश टम्टा 13 सदस्यीय दल के साथ डेरा डाले रहे।
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सुबह छह बजे सर्च अभियान शुरू
मंगलवार की सुबह लगभग छह बजे घायल आदमखोर की तलाश तेज की गई। लगभग आठ बजे उसका शव बरामद कर एनटीडी वन्यजीव चिकित्सालय लाया गया। सायं को विभागीय नियमों के तहत दाहसंस्कार किया गया।
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'बाड़ीकोट की घटना बेहद दुखद रही। वन्यजीव-मानव टकराव टालने के लिए इंसानों को ही दूरी बनानी होगी। वैसे भी प्रकृति में पहला अधिकार वन्यजीवों का ही है। उन्हें रास्ता दिया जाए। जहां उनकी गतिविधियां हों, उस ओर वासस्थल के आसपास अनावश्यक छेड़छाड़ या हस्तक्षेप न किया जाए। वन्यजीव व मानव की जरूरत पूरी हो सके, इसके लिए सावधानी पूर्वक तालमेल बैठाना होगा।
- महातिम सिंह यादव, डीएफओ'