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पोधौं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर दिया जोर

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल में खाद्य सुरक्षा एवं जलवायु समुत्थान शीलता के लिए धान्य फसलें विषय पर तीन दिवसीय प्रथम अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। इसमें देश-विदेश की फसलों से संबंधित अनुसंधान साझा कर पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर चर्चा की गई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 04:19 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 04:19 PM (IST)
पोधौं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर दिया जोर
पोधौं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर दिया जोर

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल में खाद्य सुरक्षा एवं जलवायु समुत्थान शीलता के लिए धान्य फसलें विषय पर तीन दिवसीय प्रथम अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। इसमें देश-विदेश की फसलों से संबंधित अनुसंधान साझा कर पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर चर्चा की गई।

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अंतरराष्ट्रीय आनलाइन संगोष्ठी में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने समसामयिक महत्वपूर्ण विषय जैसे फसल सुधार, पादप कार्य, अनुवांशिक विविधता और संसाधन का सरंक्षण, जैविक व अजैविक तनाव के विरुद्ध पौधों में प्रतिरोधकता का विकास आदि कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। इसके साथ देश और विदेश के कई प्रख्यात वैज्ञानिकों ने फसलों से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर अपने अनुसंधान को साझा किया। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के दो वैज्ञानिक डा. नवीन चंद्र गहत्याड़ी तथा डा. देवेंद्र शर्मा ने प्रतिभाग किया। उन्होंने संस्थान में किए गए अपने शोध कार्यों को वैज्ञानिक समुदाय के सम्मुख मौखिक प्रस्तुत किया। डा. देवेंद्र शर्मा को अपने प्रस्तुत शोध कार्य भारत के उत्तर पूर्वी हिमालयी क्षेत्रों के स्थानीय मक्का व परंपरागत प्रजातियों में उपस्थित पोषण गुणवत्ता कारकों की अनुवांशिक विविधता का विश्लेषण के लिए सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह शोध कार्य संस्थान के वैज्ञानिक डा. देवेंद्र शर्मा, रमेश सिंह पाल, राजेश कुमार खुल्बे, लक्ष्मीकांत तथा अरुण व पटनायक ने किया।

संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मीकांत ने अपने वैज्ञानिक को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्हें इस संगोष्ठी में प्रतिष्ठित डा. एमबी राव स्मृति पुरस्कार-2021 प्रदान किया गया। उनको यह सम्मान गेहूं तथा जौ में उत्कृष्ट शोध तथा इन फसलों की उन्नत प्रजातियां को विकसित करने के लिए दिया गया है। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान निदेशक डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने संस्थान के निदेशक तथा वैज्ञानिक को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।


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