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आशादेवी प्रकरण में जिला चिकित्सालय में हुआ खामियों का खुलासा

अल्मोड़ा के जिला अस्पताल में बदइंतजामी से आशादेवी की मौत के मामले में जांच मेंखामियों का हुआ खुलासा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 06:41 AM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 06:41 AM (IST)
आशादेवी प्रकरण में जिला चिकित्सालय में हुआ खामियों का खुलासा
आशादेवी प्रकरण में जिला चिकित्सालय में हुआ खामियों का खुलासा

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : बदइंतजामी से आशादेवी की मौत के मामले में निदेशक स्वास्थ्य ने महानिदेशक को जांच रिपोर्ट भेज दी है। इसमें खामियां पकड़ में आई हैं। खासतौर पर कोरोनाकाल में जिला चिकित्सालय में रैपिड टेस्ट की व्यवस्था न होने को बड़ी लापरवाही माना गया है। हालांकि ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने के मामले में बेस चिकित्सालय को फिलहाल राहत दी गई है।

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याद रहे 20 अगस्त को कोसी कटारमल गांव निवासी मुन्ना सिंह अपनी पत्नी आशादेवी (26) को उपचार के लिए महिला चिकित्सालय ले गया था। आशादेवी पांच माह के गर्भ से थी। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। फिजिशियन नहीं होने के कारण उसे जिला चिकित्सालय भेजा गया। आरोप था कि कोरोना जांच का हवाला दे चिकित्सकों ने उसे त्वरित उपचार नहीं दिया। मामला इसलिए भी तूल पकड़ गया कि जनपद मुख्यालय के सबसे बड़े चिकित्सालय में रैपिड टेस्ट की व्यवस्था तक नहीं थी। बहरहाल, आशादेवी को कोरोना जांच के लिए कोविड-19 हॉस्पिटल (बेस चिकित्सालय) भेज दिया गया। इस बीच उसका दम घुटने लगा। हालांकि बेस चिकित्सालय में कोरोना जांच के साथ कृत्रिम ऑक्सीजन के लिए सिलेंडर लगाया गया मगर कोरोना टेस्ट में देरी के कारण हालत बिगड़ती चली गई।

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जनांदोलन से दबाव में आया था शासन-प्रशासन

तीमारदार गर्भवती को लेकर दोबारा जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे मगर मुख्य गेट पर पहुंचते ही उसने दम तोड़ दिया। अगले दिन विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने सचिव स्वास्थ्य व महानिदेशक से जांच कर कार्रवाई को कहा। निदेशक स्वास्थ्य डॉ. शैलजा भट्ट को शासन ने जांच सौंपी। डीएम नितिन सिंह भदौरिया ने भी मजिस्ट्रीयल जांच बैठाई।

इधर, युवा जनसंघर्ष मंच संयोजक मनोज बिष्ट ने समर्थकों के साथ जिला चिकित्सालय में धरना शुरू कर दिया। पूर्व विधायक मनोज तिवारी ने भी जांच व कार्रवाई पर जोर दिया था। तीन सितंबर को एसडीएम सीमा विश्वकर्मा ने एडीएम का हवाला दे 15 सितंबर तक जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपे जाने का आश्वासन दे धरना खत्म कराया। इधर, निदेशक स्वास्थ्य डॉ. शैलजा ने महानिदेशक को जांच रिपोर्ट दे दी है। इसमें जिला चिकित्सालय की लापरवाही सामने आई है।

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'लापरवाही तो बरती गई है। जिला चिकित्सालय में रैपिड टेस्ट की व्यवस्था का न होना गंभीर मामला है। नहीं थी तो व्यवस्था करानी चाहिए थी। ऑक्सीजन सिलेंडर का जहां तक सवाल है, बेस चिकित्सालय से उसे उपलब्ध करा दिया गया था। हमने डीजी को जांच रिपोर्ट भेज दी है।

- डॉ. शैलजा भट्ट, निदेशक स्वास्थ्य कुमाऊं' == ==


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