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समूहों के हक पर रसूखदारों का 'डाका'

बृजेश तिवारी, अल्मोड़ा : एक ओर प्रदेश सरकार प्रदेश के स्वयं सहायता समूहों को आत्मनिर्भर

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Feb 2018 10:58 PM (IST)Updated: Sun, 25 Feb 2018 10:58 PM (IST)
समूहों के हक पर रसूखदारों का 'डाका'
समूहों के हक पर रसूखदारों का 'डाका'

बृजेश तिवारी, अल्मोड़ा : एक ओर प्रदेश सरकार प्रदेश के स्वयं सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के तमाम दावे कर रही है। वहीं अफसरों की कृपा दृष्टि की बदौलत स्वयं सहायता समूहों के हकों पर रसूखदार बेखौफ कब्जा जमाए हुए हैं। आरटीआइ में यह सामने आया है कि प्रशासन की जांच के बाद भी इस मामले में कोई अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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दरअसल जिले के स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामान के विपणन के लिए स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत वर्ष 2002 में चितई में सरस मार्केट के निर्माण को स्वीकृति दी गई। कंस्ट्रक्शन एवं डिजाइन सर्विस देहरादून को निर्माण एजेंसी चयनित किया गया। जिसके बाद पेयजल निगम अल्मोड़ा के माध्यम से वर्ष 2006 में इस सरस मार्केट का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया। इस सरस मार्केट के निर्माण का मुख्य उद्देश्य महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के विपणन के लिए उन्हें स्थान उपलब्ध कराना था। लेकिन प्रशासन ने स्वयं सहायता समूहों को इस मार्केट में स्थान उपलब्ध कराने के बजाय मार्केट के संचालन का जिम्मा नवप्रभात नाम के एक जिला स्तरीय फेडरेशन को दे दिया। फेडरेशन ने मानकों की अनदेखी कर सरस मार्केट की कुछ दुकानों को किराए पर दे दिया। जबकि शेष भाग को बरात घर में तब्दील कर दिया। आरटीआइ में मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व जिलाधिकारी सविन बंसल ने पूर्व में इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। जिसमें स्वयं परियोजना निदेशक डीडी पंत ने यह माना है कि सरस मार्केट में निजी दुकानों और बरातघर का संचालन हो रहा है। जांच रिपोर्ट में उन्होंने कहा है कि जिले के सभी विकास खंडों स्वयं सहायता समूहों को मिलाकर उद्यमिता समिति का गठन किया जाना चाहिए। परियोजना निदेशक ने अपनी जांच रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि अन्य कार्यो के लिए दुकानों का आवंटन बंद कर दिया जाना चाहिए और मार्केट का संचालन केवल स्वयं सहायता समूहों द्वारा ही किया जाना चाहिए। सूत्रों की मानें तो फेडरेशन के आय व्यय के लेखे में भी काफी हेरफेर किया गया है। लेकिन इसके बाद भी अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

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पच्चीस लाख रुपये से हुआ मार्केट का निर्माण

अल्मोड़ा : स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के विपणन के लिए बनाई गई सरस मार्केट का निर्माण पच्चीस लाख रुपये की लागत से हुआ है। निर्माण के बाद मार्केट के लिए दो लाख छप्पन हजार रुपये की लागत से फर्निशिंग, विद्युत संयोजन, साइनबोर्ड, काउंटर, रैक किचन, सिलिंग फैन व चाहरदीवारी का निर्माण भी किया गया। लेकिन इन सभी सुविधाओं का लाभ स्वयं सहायता समूहों को दिए जाने के बजाय निजी लाभ के लिए कुछ लोगों को दिया जा रहा है।

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आखिर कार्रवाई करने से क्यों डर रहे अधिकारी

अल्मोड़ा : चितई में बने सरस मार्केट का सालों से दुरुपयोग होता आया है। जांच में मानकों की अनदेखी की बात भी सामने आ चुकी है लेकिन इसके बाद भी विभाग के अधिकारी कोई कार्रवाई करने के बजाय इस मामले को एक दूसरे पर डालकर मामले से पल्ला छुड़ाने की जुगत में लगे हैं। ऐसे में जहां अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहा है।

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जिले में सत्रह हजार से अधिक समूह

अल्मोड़ा : महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए जिले में सत्रह हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं। समन्वित आजीविका सहयोग परियोजना के करीब साढ़े सौ सोलह और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत करीब पांच सौ से अधिक स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं। लेकिन समूहों के विकास के लिए तैयार होने वाली योजनाओं पर फिर भी भ्रष्टाचार का दीमक लगा हुआ है।

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चितई के सरस मार्केट को जिला स्तरीय फेडरेशन को दिया गया है। नियमों के तहत फेडरेशन का चुनाव सालों से हुआ ही नहीं है। जबकि हर तीन साल में फेडरेशन के चुनाव हो जाने चाहिए। सरस मार्केट के आंवटन की कार्रवाई जिला मुख्यालय से ही होती है। इसलिए कार्रवाई करने के अधिकार ब्लॉक के पास नहीं बल्कि जिला स्तर के अधिकारियों के पास होते हैं।

= पंकज कांडपाल, खंड विकास अधिकारी, हवालबाग

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चितई में बनाया गया सरस मार्केट संचालन के लिए हवालबाग ब्लॉक को सौंपा गया था। जांच में सरस मार्केट के संचालन में शिकायत की पुष्टि हुई है। खंड विकास अधिकारी पूरे मामले में कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। शीघ्र कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

- मयूर दीक्षित, मुख्य विकास अधिकारी, अल्मोड़ा


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