सीएम तक पहुंचा धौलछीना-कबड़खान रोड का मामला
अल्मोड़ा में करीब पांच दशक पुरानी बदहाल धौलछीना-कबड़खान का मामला सीएम दरबार तक पहुंचा है।
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : करीब पांच दशक पुरानी बदहाल धौलछीना-कबड़खान का मामला सीएम दरबार तक जा पहुंचा है। रीठागाढ़ी दगडि़यों संघर्ष समिति के इस मुद्दे को जोरशोर से उठाने व जनहित से जुड़े मुद्दे को 'जागरण' के प्रमुखता से उठाने पर हरकत में आए उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड (यूटीडीबी) के उपाध्यक्ष गोविंद सिंह पिलख्वाल ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखा। इस पर सीएम ने मुख्य अभियंता (लोनिवि) को त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
धौलछीना-कबड़खान रोड का निर्माण 50 वर्ष पूर्व हुआ था। मगर तब से धार्मिक पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाली इस महत्वपूर्ण रोड पर डामरीकरण नहीं किया जा सका। इस मामले में रीठगाढ़ी दगडि़यों संघर्ष समिति के प्रताप सिंह नेगी अरसे से मांग उठाते आ रहे थे। 'जागरण' के बीती 14 फरवरी के अंक में इसे प्रमुखता से उठाने पर यूटीडीबी उपाध्यक्ष पिलख्वाल ने सीएम त्रिवेंद्र को पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि बागेश्वर राष्ट्रीय राजमार्ग पर गैराड़ बैंड से धौलछीना को जोड़ने वाली रोड पर प्रथम व द्वितीय स्तर की सोलिंग तो की गई है। मगर हाटमिक्स न होने से धौलछीना, सेराघाट, बेरीनाग, गंगोलीहाट, थल, मुनस्यारी, धारचूला आदि क्षेत्रों के लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा नहीं मिल रही। बोर्ड उपाध्यक्ष के अनुसार यह सड़क अल्मोड़ा, चितई, बाड़ेछीना, धौलछीना मार्ग का जहां विकल्प है। वहीं सड़क के हाटमिक्स होने व यातायात शुरू होने पर जिला मुख्यालय से धौलछीना के बीच दूरी पांच से दस किमी कम हो जाएगी। इस पर सीएम ने मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग को त्वरित कार्यवाही शुरू कर अवगत कराने को कहा है।