जमीनी जंग की अत्याधुनिक तकनीक से रुबरू हुए अमेरिकी व भारतीय जांबाज
अमेरिका और भारत के 14वें संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास के तहत तक अमेरिकी व भारतीय सैन्य विशेषज्ञों ने अत्याधुनिक हथियारों के संचालन की तकनीक साझा की।
रानीखेत, अल्मोड़ा [जेएनएन]: चौबटिया सैन्य क्षेत्र में भारत व अमेरिका का संयुक्त युद्ध अभ्यास-2018 मंगलवार को दूसरे महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर गया है। दोनों देशों के जांबाजों ने जमीनी जंग की अतिविकसित तकनीक के साथ आतंकवादियों के खात्मे को लंबी व छोटी दूरी के अत्याधुनिक हथियारों के संचालन तथा रणनीतिक मामले साझा किए।
भारतीय सेना के मेजर जनरल एनजे जॉर्ज तथा अमेरिकी कमांडर विलियम ग्राहम ने इंफेंट्री की युद्धक व सैन्य क्षमता से लबरेज अभ्यास का जायजा लिया। 'काउंटर इंसर्जेंसी एंड काउंटर आतंकवाद' थीम पर मंगलवार को भारतीय व अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञों व जांबाजों ने जमीन से जमीन पर जंग, रणनीति, अत्याधुनिक हथियारों के संचालन की तकनीक साझा की।
6000 मीटर दूर मार करती है अमेरिकन हैवी मशीन गन
भारतीय व अमेरिकी सैनिकों ने आतंकवादियों के साथ बेहद करीब से जमीनी जंग के दौरान प्रयुक्त होने वाले 9एमएम पिस्टल (ब्रोइंग), 40एमएम मल्टी शॉट ग्रेनेड लांचर आदि को चलाने का कड़ा अभ्यास किया। अमेरिकी सैनिकों ने अतिविकसित 240-लीमा लाइट मशीन गन, एमके19 अमेरिकन ग्रेनेड लांचर, एमटूअल्फा सपोर्टिंग मशीन गन (एमएमजी) आदि तमाम अतिविकसित हथियारों के संचालन व आतंकवादियों को नेस्तनाबूद करने के गुर बताए। खास बात कि युद्धाभ्यास में सबसे अधिक छह हजार मीटर की दूरी पर आतंकवादियों का खात्मा करने में सक्षम अमेरिकन हैवी मशीन गन भी पहुंची है। अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञों ने भारतीय जांबाजों के साथ संचालन व तकनीक साझा की।
सैनिकों ने जानी मोर्टार की खूबियां
5200 मीटर मारक क्षमता वाली आठ एमएम मोर्टार को चलाने में भारतीय जांबाजों का कोई सानी नहीं। यह मोर्टार दुश्मनों के खात्मे में अचूक है। वहीं अमेरिकी 3490 मीटर की मारक क्षमता व 60 सेकंड में लोड होने वाले 60 एमएम मोर्टार की खूबियां अमेरिकी सैनिकों ने भारतीय जांबाजों को भी बताई।
भारत के पास इंफेंट्री में पर्याप्त हथियार
भारतीय सैन्य कमांडर मेजर जनरल एनजे जॉर्ज ने कहा कि बेशक अमेरिका की तकनीक व हथियार हमसे अलग हैं। फिर भी इंफेंट्री बटालियन में जो हथियार जरूरी व कारगर होने चाहिए वह भारत व अमेरिका दोनों के पास हैं। पहली बार डिवीजनल स्तर पर अपने खास दोस्त अमेरिका के साथ यह संयुक्त युद्धाभ्यास हर लिहाज से महत्वपूर्ण साबित होगा। दो सप्ताह के इस अहम युद्धाभ्यास के बाद किसी भी ऑपरेशन के लिए सबसे बढिय़ा तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
चौबटिया सैन्य छावनी क्षेत्र में युद्धाभ्यास के निरीक्षण बाद मेजर जनरल जॉर्ज ने कहा कि आगे अब तक के सबसे अहम व बड़े युद्धाभ्यास में भारत व अमेरिकी सेना जैसे-जैसे आगे बढ़ते जाएंगे, दोनों एक दूसरे से बहुत कुछ सीखेंगे। अलग-अलग ऑपरेशन के लिए सबसे बढिय़ा तरीका इस्तेमाल करेंगे। तकनीक व हथियारों के मामले में मेजर जनरल ने कहा कि दोनों देशों के बीच बहुत कुछ समान है। हथियार व टेक्नोलॉजी हालांकि अलग है, मगर हथियार उपलब्धता में कोई कमी नहीं है।
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