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अल्मोड़ा के शटलर लक्ष्य ने रखी थामस कप में जीत की नींव

लक्ष्य सेन की अगुवाई में भारत ने 73 वर्ष बाद थामस कप जीत कर देश का मान बढ़ा दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 May 2022 10:37 PM (IST)Updated: Sun, 15 May 2022 10:37 PM (IST)
अल्मोड़ा के शटलर लक्ष्य ने रखी थामस कप में जीत की नींव
अल्मोड़ा के शटलर लक्ष्य ने रखी थामस कप में जीत की नींव

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा: लक्ष्य सेन की अगुवाई में भारत ने 73 वर्ष बाद थामस कप जीत कर देश का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिख दिया है। थामस कप जीतने की जानकारी मिलते ही खेल प्रेमियों ने खुशी जताई। एक-दूसरे को मिठाई खिला जश्न मनाया। थामस कप में लक्ष्य सेन ने पहले ही मैच में इंडोनेशिया के ओलंपिक मेडलिस्ट गिटिग को 9-21, 21-17 व 21-16 से हराकर जीत की बुनियाद रख दी थी। उसके बाद भारत की युगल जोड़ी सात्विक व चिराग ने मैच भारत के नाम किया। लगातार तीसरे एकल मैच को जीतकर श्रीकांत ने पहली बार थामस कप जीतने का इतिहास रच दिया। अल्मोड़ा के युवा शटलर लक्ष्य के प्रतिनिधित्व में भारतीय टीम की जीत से देश का नाम रौशन हुआ है। इधर मुख्यालय में खेल प्रेमियों ने खुशी जताई। एक दूसरे को मिठाई खिला हर्ष जताया। वक्ताओं ने कहा कि लक्ष्य ने अल्मोड़ा का मान बढ़ाया है। उनकी इस उपलब्धि पर उत्तरांचल राज्य बैडमिटन संघ की अध्यक्ष डा. अलकनंदा अशोक, सचिव बीएस मनकोटी, पालिकाध्यक्ष प्रकाश जोशी, जिला बैडमिटन संघ अध्यक्ष प्रशांत जोशी, उपाध्यक्ष प्रशासनिक गोकुल सिंह मेहता, उपाध्यक्ष राकेश जायसवाल, सचिव डा. संतोष बिष्ट, सह सचिव संजय नज्जोन, कोषाध्यक्ष नंदन रावत, समन्वयक विजय प्रताप सिंह, मीडिया प्रभारी डीके जोशी, सुरेश कर्नाटक, जगनमोहन सिंह फत्र्याल, डा. नंदन बिष्ट, अरविद जोशी, हिमांशु राज, शेखर लखचोरा, हेम पांडे, राजू तिवारी, जग्गू वर्मा, डा. जेसी दुर्गापाल, जिला क्रीड़ा अधिकारी विनोद वल्दिया, उप जिला क्रीड़ा अधिकारी अरुण बंगयाल, कोच स्मृति नगरकोटी आदि ने खुशी जताई। लक्ष्य का प्रोफाइल जासं, अल्मोड़ा: 16 अगस्त 2001 को अल्मोड़ा में जन्मे लक्ष्य मूलरूप से जिले के सोमेश्वर के ग्राम रस्यारा निवासी हैं। 80 वर्षों से अधिक समय से वह अल्मोड़ा के तिलकपुर मोहल्ले में रहते हैं। उनके दादा जी सीएल सेन जिला परिसर में नौकरी करते थे। दादा ने सर्विसेस में राष्ट्रीय स्तर की बैडमिटन प्रतियोगिताओं में कई खिताब जीते। लक्ष्य को छह वर्ष की उम्र में मैदान पर उतारने में दादा जी का बड़ा योगदान रहा। 10 वर्ष की उम्र में लक्ष्य ने पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब जीता था। लक्ष्य के भाई चिराग सेन भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के बैडमिटन खिलाड़ी हैं। माता निर्मला सेन पूर्व में निजी स्कूल में शिक्षिका थी। बाद में उन्होंने बच्चों की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ दी। इसके बाद वह बंगलुरू में शिफ्ट हो गई। जहां लक्ष्य और चिराग दोनों विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के साथ प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।

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लक्ष्य की अब तक की उपलब्धियां लक्ष्य ने लिनिग सिगापुर यूथ इंटरनेशनल सीरीज में स्वर्ण, इजरायल जूनियर इंटरनेशनल के डबल और सिगल में स्वर्ण, इंडिया इंटरनेशनल सीरीज के सीनियर वर्ग में स्वर्ण, योनेक्स जर्मन जूनियर इंटरनेशनल में रजत, डच जूनियर में कांस्य, यूरेशिया बुल्गारियन ओपन में स्वर्ण, एशिया जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, यूथ ओलंपिक में रजत, व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक समेत कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को पदक दिलाया है।


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