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काशी उत्सव के अंतिम निशा में मनोज तिवारी के भोजपुरी गीतों पर झूमा युवा मन

मनोज तिवारी ने ऐसा समां बांधा कि क्या युवा और क्या बुजुर्ग सभी अपनी-अपनी जगह पर झूमने लगे। शुरुआत मंगल भवन अमंगल हारी तुलसी की काशी में मनोज तिवारी से किया। उसके बाद जय-जय गंगा महारानी निर्मल है तेरा पानी... सुनाया तो लोगों में भक्ति भाव का संचार हुआ।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 10:02 AM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 10:02 AM (IST)
काशी उत्सव के अंतिम निशा में मनोज तिवारी के भोजपुरी गीतों पर झूमा युवा मन
काशी उत्सव के अंतिम निशा में मनोज तिवारी के भोजपुरी गीतों पर झूमा युवा मन

जागरण संवाददाता, वाराणसी। संस्कृति मंत्रालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित काशी महोत्सव की अंतिम संध्या युवाओं के नाम रही। भोजपुरी गायक मनोज तिवारी मृदुल को सुनने के लिए आतुर युवा शाम चार बजे से ही रुद्राक्ष सम्मेलन केंद्र में अपनी जगह जमा चुके थे। टिक-टिक करती घड़ी में जैसे ही सात बजा तो युवाओं का इंतजार समाप्त हुआ और मनोज तिवारी का मंच पर आगमन हुआ। हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ मनोज तिवारी ने ऐसा समां बांधा कि क्या युवा और क्या बुजुर्ग सभी अपनी-अपनी जगह पर झूमने लगे। उन्होंने अपने प्रस्तुति की शुरुआत मंगल भवन अमंगल हारी, तुलसी की काशी में मनोज तिवारी से किया। उसके बाद जय-जय गंगा महारानी, निर्मल है तेरा पानी... सुनाया तो लोगों में भक्ति भाव का संचार हुआ। उन्होंने कहा कि तुलसी मानस को अयोध्या में रचे, जबकि उसे प्रमाणिकता काशी ने दिया। इस पर उन्होंने अपना नया गीत रामायण बचावे में देवता भी लाग गइले, तुलसी के राम खातिर विश्वनाथ जाग गईले... सुनाया। उसके बाद उन्होंने देवताओं पर एक होली गीत रंग लेके दौड़े हनुमान जी, राम जी उठ के भाग... सुनाया।

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मंत्री रविंद्र जायसवाल के कहने पर पूरी हुई युवाओं की फरमाइश

अपने बीच मनोज तिवारी को पाकर युवा काफी उत्साहित थे। वह लगातार गीतों की फरमाइश कर रहे थे। लेकिन मनोज तिवारी अपने सधे अंदाज में मंच संभाले रहे। मंत्री रविंद्र जायसवाल के कहने पर मनोज तिवारी ने युवाओं की मुरादों को पूरा किया। उसके बाद उन्होंने भोजपुरिया बयार बहा दिया। चट देनी मार देहली खींच के तमाचा, ही ही रिंकिया के पापा..., उन्होंने कहा कि इससे रिश्तों में मधुरता आती है। उसके बाद होठों पर सच्चाई रहती है, अब काशी में सफाई दिखती है..., झुलनी के रंग सांचा हमार पिया..., गोरिया चांद के अजोरिया नियर गोर बाडू हो..., ऊपर वाली के चक्कर में लड़िका खूब पिटाइल बा... सुनकर युवा गदगद हो गए।

जब भूले गीत तो कन्हैया दुबे केडी को किया याद

एक गीत की लाइन भूलने पर दर्शक दीर्घा में बैठे युवा गीतकार कन्हैया दुबे केडी की तरफ माइक धुमा दिया। उन्होंने तुरंत गीत के बोल सुनाया तो मनोज तिवारी ने लय को आगे बढ़ाया।

पुलिस कमिश्नर पर ली चुटकी

मनोज तिवारी ने बिल्कुल सधे अंदाज में कहा कि काशी में लोग लाल रंग को कहते हैं टह-टह लाल बा हो, तभी सामने दर्शक दीर्घा में बैठे पुलिस कमिश्नर ए.सतीश गणेश के पीले गमछे पर चुटकी लिया कहा इनकर गमछा दग-दग पियर बा...। शहर के अंदाज मिजाज पर कहा कि यहां लोग भोजन करते हैं तो कहते हैं गुरु चांप के खईनी ह...।

काशी के नारियों का किया सम्मान

उन्होंने गीत के माध्यम से काशी के नारियों का सम्मान किया। कहा क्या खूब लगती हो, बड़ी सुंदर दिखती हो, तुम चांद सी प्यारी हो, तुम काशी की नारी हो...।

क्रूज और अपराध पर ली चुटकी

गीतों के माध्यम से उन्होंने क्रूज और अपराध पर चुटकी लिया। उस एक गीत प्रस्तुत किया। जिसके बोल क्या खूब लगती है, जब गंगा में क्रूज चलती है। अपराध पर उन्होंने कहा कि अपराध पर है नियंत्रण, मिलने-जुलने का है आमंत्रण...। उसके बाद बम-बम गूंजे गली-गली में काशी के सुरलहरी..., अंत में उन्होंने मंगल भवन अमंगल हारी, अब अलविदा लिहें मनोज तिवारी के साथ कार्यक्रम को विराम दिया।


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