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मशरूम की खेती की तेजी से बढ़ रहे युवा किसान, पारंपरिक खेती में आई कमी

आज के समय में खेतों में खर्च के अनुपात में मुनाफा नहीं होने के चलते किसान भी अपनी खेेती में बदलाव करने लगे हैं। इससे पारंपरिक खेती में कमी आई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 07:24 PM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 07:24 PM (IST)
मशरूम की खेती की तेजी से बढ़ रहे युवा किसान, पारंपरिक खेती में आई कमी
मशरूम की खेती की तेजी से बढ़ रहे युवा किसान, पारंपरिक खेती में आई कमी

बलिया, जेएनएन। आज के समय में खेतों में खर्च के अनुपात में मुनाफा नहीं होने के चलते किसान भी अपनी खेेती में बदलाव करने लगे हैं। इससे पारंपरिक खेती में कमी आई है। वहीं सब्जी आदि की खेती में लगातार इजाफा हो रहा है। किसान भी मानते हैं कि अब कठिन परिश्रम से सब्जी आदि की खेती से ही अपने परिवार को चलाया जा सकता है। हलांकि इसके लिए उन्हें खेतों की फसल सुरक्षा के लिए कई तरह की व्यवस्था करनी होती है। अभी के समय में सब्जी खेती की ओर ज्यादा संख्या में युवा ही भाग रहे हैं। इसके बदौलत वे न सिर्फ अपनी बेराजगारी दूर कर रहे हैं, बल्कि पूरे परिवार को भी आर्थिक संकट से उबार रहे हैं। स्थानीय इलाके में अधिकांश युवा किसानों का रुझान मशरूम उत्पादन की ओर है। इलाके में बहुत से युवा किसान मशरूम की खेती किए हैं।

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किसान बताते हैं कि मशरूम का प्रयोग सब्जी के रूप में किया जाता है। किसान बताते हैं कि इसे और भी कई नामों से जाना जाता है। जैसे कुकुरमुत्ता, भूमि कवक, खुंभी आदि। इसकी कई प्रजातियां हैं, लेकिन मुख्य रूप से तीन प्रकार की खूंभी पाई जाती है। बटन खुंभी, ढिग़री खुंभी तथा धान पुआल खुंभी। इन तीनों प्रजातियों को किसी भी हवादार कमरे में या सेड में उगाया जा सकता है। अन्य खूंभियों की तुलना में ढिग़री खुंभी स्वादिष्ट, सुगंधित और मुलायम होने के साथ पोषक तत्वों से भरपूर भी होती है। इसमें वसा तथा शर्करा कम होने के कारण यह मोटापे, मधुमेह तथा रक्तचाप से पीडि़त व्यक्तियों के लिए आदर्श आहार है। इसमें प्रोटीन, वसा, रेशा, कार्बोहाइड्रेट वाह खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

धान की पुआल या गेहूं के भूसे पर हो जाती खेती

कृषि विज्ञान केंद्र सोहांव के अध्यक्ष प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि जनपद में मशरूम उत्पादन करने की अपार संभावनाएं हैं। मशरूम उत्पादन में उपयोग होने वाले अधिकांश संसाधन जैसे भूसा, पुआल, कंपोस्ट, बांस, रस्सी सभी उपलब्ध है खेती में रुचि रखने वाले बेरोजगार नवयुवक, नवयुवतियां, कृषक, कृषक महिलाएं इसकी खेती कर कम लागत से अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं।


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