कोरोना संक्रमण काल में ऑटाे चालक बने यमदूत, आर्थिक शोषण से खोज लिया आपदा में अवसर
कोरोना संक्रमण काल में जहां लॉकडाउन के दौरान आटाे संचालन बंद होने से संचालकों की माली हालत खराब होने लगी थी वहीं अनलॉक के बाद शर्तों में छूट के बाद ऑटो चालकों ने आपदा में अवसर खोज लिया है।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संक्रमण काल में जहां लॉकडाउन के दौरान आटाे संचालन बंद होने से संचालकों की माली हालत खराब होने लगी थी वहीं अनलॉक के बाद शर्तों में छूट के बाद ऑटो चालकों ने आपदा में अवसर खोज लिया है। नियम कायदों को धता बताते हुए मानकों के विपरीत ठूंसकर सवारियों को बैठाने का जहां कोई हिसाब नहीं वहीं किराए में भी कोई छूट यात्रियों को नहीं दी जा रही है। जिसकी वजह से काेरोना संक्रमण के दौरान बनी गाइडलाइन का जहां उल्लंघन हो रहा है वहीं यात्रियों संग झिकझिक और उनकी फजीहत भी खूब हो रही है।
इस बाबत जागरण को एक पाठक रजनीश ने बताया कि वाराणसी में किराए को लेकर प्रशासन कोई दुरुस्त उपाय नहीं कर पा रहा है, शहर के हिसाब से वाराणसी में ऑटो का किराया बहुत ज्यादा है जो कि पहले लंका से कैंट का मात्र 20 रुपया किराया था जिसमें ऑटो चालकों को पांच सवारी बैठना होता था, लेकिन कोविड़ 19 के महामारी के बाद किराया तीन सवारी पर 30 रुपया निर्धारित किया गया है मगर इसका भी अनुपालन नहीं हो रहा। कोरोना संक्रमण खतरों के बीच ऑटो चालकों के द्वारा पांच सवारी बैठने के बाद भी 30 रुपया किराया लिया जा रहा है। बताया कि नहीं देने पर झगड़ा करने पर आमादा हो जा रहे हैं। वहीं अमूमन रजनीश जैसी ही स्थिति हर यात्री के साथ हो रही है। कोरोना संबंधित नियम कायदों को ताख पर रखकर उचित दूरी का न तो वाहनों में प्रयोग हो रहा है और न ही काेई रोकटोक है।
वहीं आटो संचालन से जुडे लोगों का कहना है कि कुछ आटो चालक मानकों की अनदेखी करके लोगों की जान खतरे में डाल रहे हैं। वहीं रोक टोक और लोगों में जागरुकता की कमी से भी चालक ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। वहीं यात्रियों का आरोप है कि यातायात संचालन से जुड़े सरकारी विभागों की आंख के सामने ही यह सारे कारनामे दिन दहाड़े अंजाम दिए जाते हैं बावजूद इसके सबने आंखें मूंद रखी है। इसकी वजह से जहां कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा बना हुआ है वहीं दूसरी ओर यात्रियों के सामने आर्थिक समस्याएं भी सामने आ रही हैं।