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साफ्ट स्टोन पर पहली बार गोवर्धन पर्वत देखेगी दुनिया, वाराणसी में परंपरागत तरीके से बनी हैं दो कृतियां

काशी जो अपनी शिल्पकला के लिए विश्वभर में जाना जाता है वहां के शिल्पियों ने लॉकडाउन में पत्थर को तराशकर एक अनोखी कृति तैयार की है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 18 Aug 2020 08:10 AM (IST)Updated: Tue, 18 Aug 2020 01:23 PM (IST)
साफ्ट स्टोन पर पहली बार गोवर्धन पर्वत देखेगी दुनिया, वाराणसी में परंपरागत तरीके से बनी हैं दो कृतियां
साफ्ट स्टोन पर पहली बार गोवर्धन पर्वत देखेगी दुनिया, वाराणसी में परंपरागत तरीके से बनी हैं दो कृतियां

वाराणसी [वंदना सिंह]। लॉकडाउन में जहां एक ओर लोगों का बहुत नुकसान हुआ, वहीं कई ऐसी चीजों का सृजन भी हुआ जो अपने आप में अद्भूत रहीं। काशी जो अपनी शिल्पकला के लिए विश्वभर में जाना जाता है वहां के शिल्पियों ने लॉकडाउन में पत्थर को तराशकर एक अनोखी कृति तैयार की है। वहीं कुछ शिल्पियों ने अपनी पुरानी परंपरा को जोड़ते हुए घंटे को नए अवतार में उतारा है। इसमें एक काशीपुरा व दूसरे रामनगर के शिल्पी हैं जिनकी कई पीढिय़ां इस कला की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। रामनगर के साहित्यनाका निवासी स्टेट अवार्डी और जीआई ऑथराइज्ड यूजर बनारस साफ्ट स्टोन जाली वर्क के शिल्पकार बच्चा लाल मौर्या का हाथ जाली वर्क में सधा हुआ है इनकी बनाई मूर्तियां देश और विदेश दोनों जगह पसंद की जाती हैं। बच्चा लाल ने साफ्ट स्टोन जाली वर्क पर गोवर्धन पर्वत पर गायों व बछड़े के झुंड के कांसेप्ट को डिजाइन किया जिसे शिल्पी संजय विश्वकर्मा द्वारा तैयार किया गया है। साफ्ट स्टोन जाली वर्क में अब तक का यह पहला ऐसा काम है जिसमें सिंगल पीस गउरा पत्थर जिसे साफ्ट स्टोन कहा जाता है इस पर डेढ़ फुट के पत्थर पर गोवर्धन पर्वत, वृक्ष, गायों का झुंड, दूध पीते बछड़े की आकृति बनाई गई है। खास बात ये कि इसमें कई गायों को अलग-अलग मुद्राओं में बनाया गया है। कोई गाय बैठी है तो कोई घास चर रही है तो कोई गाय बछड़े को दूध पिला रही है या पुचकार रही है। भावनाओं से ओतप्रोत गोवर्धन पर्वत का यह दृश्य बेहद मनोरम है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेंट करना चाहते हैं

पत्थर के प्राकृतिक क्रीम कलर में बने इस जाली वर्क को देखकर कोई भी कलाकार की तारीफ किए बगैर नहीं रह सकता है। बच्चा लाल ने बताया अभी ये पहला पीस है जिसे वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेंट करना चाहते हैं। चूंकि उन्हें गौमाता से बहुत लगाव है तो लॉकडाउन में इसी बात को सोचकर गोवर्धन पर्वत को डिजाइन किया। उन्होंने बताया लॉकडाउन में भी हम रुके नहीं, अपने सोच को पॉलिश करते रहे और संजय के साथ मिलकर एक नई कला का सृजन किया। बच्चालाल व घनश्याम कसेरा कई कलाकारों को रोजगार भी दिए हुए हैं।

पीतल के घंटे पर नया प्रयोग किया

काशीपुरा के बलुआ गली निवासी घनश्याम कसेरा और उनके बेटे सुनील कसेरा ने पीतल के घंटे पर नया प्रयोग किया है। ये पहला मौका है जब घंटे के बाहर और हैंडिल वाले स्थान पर भी आकृति बनाई गई है। इस परिवार द्वारा आज भी परंपरागत तरीके से गंगाजी की मिट्टी और बालू के सांचे से घंटे, लुटिया, आचमनी, पंचपात्र आदि बनाया जाता है। घनश्याम कसेरा और उनके बेटे सुनील ने बताया कि अब तक हमारा परिवार पचास ग्राम से लेकर पचास किलो तक का घंटा बनाता आया है। फिर हमने तय किया क्यों न इन घंटों पर आकृति बनाई जाए। इसी के तहत घंटे की हैंडिल पर मोर, ओम, स्वास्तिक, फूल, गणेश आदि का चित्र बनाना शुरू किया। इसके साथ ही घंटे के बाहरी हिस्से पर गणेशजी, शिवजी, ओम, स्वास्तिक आदि की आकृति बना रहे हैं। इस तरह प्लेन घंटा बेहद खूबसूरत लगने लगा साथ ही ईश्वर के चित्रों के बनने के कारण ये और भी खास हो गया। घनश्याम कसेरा बताते हैं वक्त के साथ करवा का का रूप भी बदला लेकिन एक बार फिर हमारा परिवार पुराने रूप में करवे को लेकर आ रहा है। घनश्याम कसेरा के बेटे अनिल कसेरा इस वक्त इन चीजों की आनलाइन मार्केटिंग में लगे हुए हैं। 

काश्‍ाी की मूर्ति देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभिभूत हो गए थे

पदमश्री डा. रजनीकांत बताते हैं बच्चालाल द्वारा बनाए साफ्ट स्टोन जाली वर्क में हाथी, चिडिय़ा सहित ढेरों मूर्तियां शामिल हैं जिसमें ग्लोब के भीतर गणेशजी की सिंगल मूर्ति देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभिभूत हो गए थे। बच्चा लाल और संजय द्वारा साफ्ट स्टोन में गोवर्धन पर्वत का ये कांसेप्ट पहली बार बना है। जो दुनिया के सामने जल्दी ही आएगा। देश-विदेश के साथ ही सारनाथ में जितनी दुकानों पर साफ्ट स्टोन जाली वर्क के सामान हैं वो भी इन्हीं के बनाए हैं।


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