World Refugee Day पाकिस्तान से पलायन कर काशी में बसे सिंधी बंधुओं ने सुनाई दर्द की दास्तान
हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की यादें जेहन में दर्द समेटती हैं। पलायन के दौरान पाकिस्तान में अत्याचार की दास्तान शरणार्थियों की चौथी पीढ़ी सुनती है तो आंखे नम हो जाती है।
वाराणसी, जेएनएन। आजादी के बाद हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की यादें जेहन में दर्द समेटती हैं। पलायन के दौरान पाकिस्तान में अत्याचार की दास्तान शरणार्थियों की चौथी पीढ़ी सुनती है तो उनकी आंखें भी नम हो जाती हैैं। हिंदुस्तान में मान-सम्मान और जीने का सहारा मिला। अपनी मेहनत और संघर्ष की बदौलत किस्मत की लकीरें ही बदल दी। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से पलायन कर वाराणसी में बसे सिगरा क्षेत्र के सिंधी बंधुओ ने वर्ष 1947 की घटना की कुछ यादें साझा की।
पलायन के वक्त बड़ा ही अत्याचार का सामना करना पड़ा
विनोद कुमार होतवानी ने बताया कि उनके दादाजी स्व. मोटूमल होतवानी सिंध प्रांत में जमींदार परिवार से थे। बंटवारे की घोषणा के बाद उन्होंने हिंदुस्तान को चुना। पलायन के वक्त उन्होंने बड़ा ही अत्याचार का सामना किया। कन्हैया लाल के मुताबिक पलायन के समय हिंदुस्तान लौट रहे सिंधु बंधुओ के साथ अत्याचार और सितम की हदें पार कर दी गई थीं। सारा सामान लूटकर लोगों को वहां से पिता मेहरमल को भागने पर मजबूर कर दिया गया। हिंदुस्तान में सहारा मिला।
दोबारा स्थापित करने के लिए हिंदुस्तान में संघर्ष किया
कमल कुकरेजा का कहना था कि उनके दादाजी स्व. श्यामदास कुकरेजा हम लोगों को पलायन की कहानी सुनाते थे। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हमारा धनाढ्य परिवार था। उन्होंने खुद को स्थापित करने के लिए दोबारा हिंदुस्तान में मेहनत और संघर्ष किया। बनारसी लाल डूडवानी ने कहा कि हिंदुस्तान सरकार ने शरणाॢथयों के लिए अशोक नगर, अमर नगर और सिंधु नगर जैसी कॉलोनी बसाईं। पलायन के बाद लोग मुंबई, दिल्ली और गुजरात सहित देश के विभिन्न प्रांतों की तरफ रुख कर गए। जहां उन्होंने खुद को स्थापित किया।
20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस के रूप में मनाता है संयुक्त राष्ट्र
विश्व शरणार्थी दिवस पर दुनिया भर के शरणाॢथयों के दुखों और तकलीफों को वैश्विक रूप से सामने लाने का दिन है। शरणाॢथयों की शक्ति, हिम्मत और दृढ़ निश्चय को स्वीकृति देने के लिए संयुक्त राष्ट्र 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस के रूप में मनाता है। प्रत्येक वर्ष विश्व शरणार्थी दिवस उन शरणार्थी पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों की शक्ति और साहस को सलाम करता है जिन्हेंं सतत हिंसा और अत्याचार के डर के कारण अपनी जमीन, अपना देश छोड़कर जाने को मजबूर होना पड़ा है। यह दिवस प्रत्येक वर्ष 20 जून को उन लोगों के साहस, शक्ति और संकल्प के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है, जिन्हेंं प्रताडऩा, संघर्ष और हिंसा की चुनौतियों के कारण अपना देश छोड़ना पड़ा।