विश्व संगीत दिवस : एक घर में समाए संगीत के सभी घराने, बनारस का है पहला और अनोखा स्टूडियो
काशी के कण-कण में संगीत बसा है। इसकी गवाही अब तक तो पद्म गलियां ही दे रही थीं लेकिन इससे इतर काशी में एक ऐसा भी स्थान है। जहां एक ही छत के नीचे क्लासिकल इंस्ट्रूमेंट वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट वोकल तबला वादन का अलग-अलग स्टूडियो है।
वाराणसी सौरभ चंद्र पांडेय। संगीत में रहिए और उसे महसूसिए फिर यकीन मानिए की आप कभी अवसाद में नहीं आएंगे। इसके लिए जरूरी नहीं कि आप एक अच्छे संगीतकार हों या फिर अच्छे वादक। आप एक अच्छे श्रोता बन कर भी संगीत के भाव और गहराईयों में उतर सकते हैं। काशी के कण-कण में संगीत बसा है। इसकी गवाही अब तक तो पद्म गलियां ही दे रही थीं, लेकिन इससे इतर काशी में एक ऐसा भी स्थान है। जहां एक ही छत के नीचे क्लासिकल इंस्ट्रूमेंट (शास्त्रीय संगीत वाद्ययंत्र), वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट (पश्चिमी वाद्ययंत्र), वोकल (गायन), तबला वादन का अलग-अलग स्टूडियो है। जहां आपको एक क्षण के लिए पं. राजन-साजन मिश्र, पं. छन्नूलाल मिश्र, उस्ताद बिस्मिल्ला खां, पं. हरिप्रसाद चौरसिया, पं. रविशंकर, स्टेफीन डेवेसी, दिवंगत पं. किशन महाराज और गिरिजा देवी की आभा महसूसने को जरूर मिल सकती है। संगीत की यह सभी धुन आपको एक साथ सिगरा के गुलाब बाग कालोनी और कचहरी जेपी मेहता रोड स्थित सूर्या ग्रीन डुप्लेक्स के डी-29 में सुनने को मिलेगी। संगीत की कोई लड़ी न टूटे इसका मान रखते हुए इसे तैयार किया है काशी के एक ख्यात संगीत परिवार ने। देखा जाए तो बनारस का यह अपने-आप में पहला अनोखा और अनूठा स्टूडियो है।
शास्त्रीय संगीतकारों की याद दिलाता है पहला कमरा
ख्यात बांसुरी वादक पं. राजेंद्र प्रसन्ना के शिष्य प्रांजल सिंह ने अपने कमरे को शास्त्रीय संगीत वाद्य यंत्र से सजाया है। उन्होंने बताया कि जब संगीत सीखने की ललक जगी तो मन में पहला सपना संजोया की एक बड़े कलाकार की तरह हम भी किसी दिन अपना स्टूडियो सजाएंगे पर यह नहीं पता था कि यह स्टूडियो सभी संगीत घरानों को समेट लेगा।
भारतीय संगीत के साथ वेस्टर्न म्यूजिक का अद्भुत संगम बना घर का आंगन
प्रांजल के छोटे भाई हेमंत सिंह 'द एआर रहमान' के शिष्य हैं। उन्होंने बड़े भाई के स्टूडियो को देख कर घर के आंगन को वेस्टर्न म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट का स्टूडियो बना रखा है। प्रतिदिन वह यहां रियाज करते हैं। कहते हैं कि मेरी साधना का यही केंद्र है। भारतीय संगीत के साथ-साथ वेस्टर्न म्यूजिक का संगम भी अद्भुत है।
तबला वादन और लोकगीतों को ताजा करता है तीसरा कमरा
सबसे खास और खूबसूरत तीसरे कमरे का स्टूडियो है। जिसमें कराओके गाने की व्यवस्था की है। कराओके की मदद से लिरिक्स को पढ़कर संगीत को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत करने का रियाज किया जाता है। इसमें घर के मुखिया अजय सिंह रियाज करते हैं। इसी कमरे के एक कोने में तबला वादन का भी खास स्टूडियो है। वहीं लोकगीतों के भी कुछ अंश इस स्टूडियो में जरूर आपको देखने को मिल जाएंगे।
घर की बहू श्रुति तान रही हैं वीणा के तार
प्रांजल की पत्नी श्रुति सिंह परिवार के सभी सदस्यों के स्टूडियो को देखकर अब अपने कमरे को भी वह स्टूडियो का लुक देने में जी जान से जुटी हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से म्यूजिक में एमफिल के बाद वह ख्यात वीणा वादक संजय वर्मा से प्रशिक्षण ले रही हैं।