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World Cancer Day 2021: सावधानी और जागरूकता कैंसर से रखेगी दूर

World Cancer Day 2021वाराणसी बीएचयू प्रोफेसर डॉ. मनोज पांडेय ने बताया कि देश और दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो कैंसर को मात देकर सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। शुरुआती चरण में ही कैंसर की पहचान कर लेने से यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 04 Feb 2021 06:30 AM (IST)Updated: Thu, 04 Feb 2021 09:13 AM (IST)
World Cancer Day 2021: सावधानी और जागरूकता कैंसर से रखेगी दूर
इस साल विश्व कैंसर दिवस की थीम है ‘मैं हूं और मैं रहूंगा’।

वाराणसी, जेएनएन। World Cancer Day 2021 कैंसर आमतौर पर आनुवंशिक बदलावों के कारण होता है। वातावरण, जीवनशैली और प्रदूषण इसके मुख्य कारण हैं। इनमें जीवनशैली एक ऐसा कारण है, जो हमारे द्वारा पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है। लगभग 50 फीसद कैंसर तंबाकू के सेवन से होता है।

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धूमपान से फेफड़े, स्तन का कैंसर, खैनी, सुर्ती, जरदा, दोहरा, गुटखा और पान से मुंह व गले का कैंसर, शराब से आहार नली और पेट का कैंसर, पाश्चात्य खानपान (जिसमें कार्बोहाइड्रेट तथा फैट की मात्रा अधिक होती है) से स्तन कैंसर हो सकता है। इसके अलावा, सुस्त व निष्क्रिय जीवन जीने वाले तथा वे लोग जिनको मोटापे की समस्या है, उन्हें भी कैंसर होने की आशंका अधिक रहती है। कुछ कैंसर जैसे महिलाओं में बच्चेदानी का कैंसर ह्यूमन पापिलोमा वायरस इंफेक्शन के कारण होता है, जो असुरक्षित यौन संबंधों के कारण होता है। लिवर का कैंसर हेपेटाइटिस वायरस (जो रक्त से फैलता है) से होता है।

लक्षणों की पहचान: कैंसर के शुरुआती लक्षण सामान्य बीमारियों की तरह ही होते हैं।

  • सांस फूलना
  • खाने का स्वाद न मिलना
  • भूख न लगना, वजन कम होना
  • मुंह में ठंडा गरम लगना, मिर्च लगना
  • शरीर के अंदरूनी हिस्सों में दर्द होना, रक्तस्नाव होना
  • जैसे अल्सर या घाव जो दो हफ्ते से अधिक समय तक ठीक न हो
  • शरीर में गांठें या छोटे ट्यूमर जिनका आकार समय के साथ बढ़ने लगे या उनमें दर्द होने लगे

अत्यधिक गैस बनना तथा एसिडिटी रहना पित्त की थैली और पेट के कैंसर का लक्षण हो सकता है। चूंकि इसके लक्षण सामान्य बीमारियों की तरह ही होते हैं। इसलिए यदि 2-3 हफ्ते में आराम न मिले तो कैंसर विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।

आवश्यक सावधानियां: कैंसर से बचाव के लिए सबसे जरूरी सावधानी है तंबाकू व शराब का सेवन न करना। जिन लोगों को इसकी लत है, उन्हेंं सबसे पहले इसे छोड़ देना चाहिए। इसके अलावा, धूल, धुएं से बचाव करना चाहिए। एक स्र्फूितयुक्त, चुस्त एवं सक्रिय जिंदगी जीनी चाहिए। सुबह उठकर टहलना और रोज करीब आधे घंटे व्यायाम करना चाहिए। भोजन में हरी सब्जी, फलों को शामिल करें। मांसाहारी भोजन कम करें। घर के आसपास सफाई रखें और स्वच्छ पानी का सेवन करें।

जरूरी है तंबाकू सेवन से बचना: लगभग 50 फीसद कैंसर तंबाकू के कारण होता है। इसके अलावा बहुत सी दूसरी परेशानियां भी इससे होती हैं। इसमें से एक है मुंह का कम खुलना, जिसे सब-म्यूकसफाइब्रोसिस कहते हैं। यह ज्यादातर गुटखा खाने वालों में दिखता है। इसमें मुंह का खुलना धीरे-धीरे कम होने लगता है और समय के साथ इतना कम हो जाता है कि बमुश्किल एक अंगुली ही मुंह में जा पाती है। इससे खाने-पीने के अलावा मुंह को साफ रखने में भी दिक्कत होती है। दांत खराब हो जाते हैं और कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। तंबाकू सेवन के परिणाम घातक होते हैं और कैंसर होने पर इलाज के बावजूद भी जीवन मुश्किल भरा हो जाता है। यदि जिंदगी बच भी जाती है तो खाने-पीने में दिक्कत पूरी जिंदगी रहती है।

जल्दी पहचान से इलाज होता है आसान: कैंसर से बचाव ही सबसे उपयुक्त है। कैंसर हो जाने की अवस्था में शुरुआत में पहली और दूसरी स्टेज में यह पूर्णतया ठीक हो जाता है। चौथी स्टेज में इलाज तो संभव है, किंतु बीमारी ठीक नहीं होती इस कारण कैंसर को आरंभिक अवस्था में पकड़ना जरूरी है, जिससे यह इलाज के बाद पूर्णतया ठीक हो सके। शुरुआत में कैंसर का इलाज केवल सर्जरी या सिकाई के माध्यम से किया जाता है। इसमें इलाज का खर्च भी कम आता है।

बीएचयू जैसे सरकारी अस्पतालों में सर्जरी का चार्ज सिर्फ 6000 रुपये ही है, पर बीमारी बढ़ने की अवस्था में कीमोथेरपी या इम्यून थेरेपी भी दी जाती है, जो बहुत महंगी होती है। इस अवस्था में कैंसर के इलाज में 5-10 लाख रुपये तक लग जाते हैं यानी शुरुआत में जो इलाज 50 हजार रुपये में संभव होता है , वह बाद में 10 लाख खर्च करके भी नहीं मिलता है।

दूर कर लें भ्रम: कैंसर को लेकर कई तरह के भ्रम हैं, जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है। कैंसर के इलाज में बायोप्सी करके एक छोटा टुकड़ा जांच के लिए भेजा जाता है, जिससे कैंसर की पुष्टि हो सके। इस बारे में यह भ्रम है कि लोहा लगने से घाव बढ़ जाता है और कैंसर फैल जाता है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। बायोप्सी एक बहुत छोटी-सी जांच है, जिसमें पूरा ट्यूमर नहीं निकाला जाता। इस तरह का भ्रम इसलिए फैलता है, क्योंकि अगर सर्जरी द्वारा पूरा ट्यूमर नहीं निकाला जाए और उसका कोई अंश शरीर के अंदर रह जाता है तो कैंसर दोबारा होने की आशंका रहती है। ऐसी हालत में सिकाई और कीमो दोनों का प्रयोग किया जाता है।


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